Sunday, December 21, 2025
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कुलपति के अध्यक्षता मे सम्पन्न हुआ योग कार्यशाला

गोरखपुर (राष्ट्र क़ी परम्परा)
दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय स्थित महायोगी गुरु श्रीगोरक्षनाथ शोधपीठ द्वारा कुलपति प्रो. पूनम टण्डन के संरक्षण में चल रहे सप्तदिवसीय शीतकालीन कार्यशाला ’योग एवं नाथपंथ’ के सातवें एवं अंतिम दिन सम्पन्न हो गया। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ. जयंत नाथ, योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा विशेषज्ञ, आयुष विभाग, गोरखपुर रहे। कार्यशाला के इस अंतिम दिन भी सुबह डा. विनय कुमार मल्ल के द्वारा योग प्रशिक्षण दिया गया।
उसके बाद द्वितीय सत्र में 10 बजे मुख्य वक्ता डॉ. जयंत नाथ द्वारा नाथपंथ में योग की उपादेयता विषय पर व्याख्यान दिया गया। उन्होंने अपने उद्बोधन में नाथ पंथ के योग के मूल तत्वों एवं उसके व्यावहारिक पहलुओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने अपने व्याख्यान में कहा कि योग की उत्पत्ति मानव सृष्टि से मानी जाती है। गोरखनाथ ने नाथपंथ का विशेष रूप से प्रचार प्रसार किया। गोरखनाथ ने जन जन तक योग के संदेश को पहुचाया। योग के अनेक शाखाएं है जिनमे हठयोग प्रमुख है जिसका नाथपंथ ने प्रचार किया है। उन्होंने कहा कि हठयोग सूर्य और चंद्र नाड़ी के सामंजस्य से सिद्ध होता है। हठयोग शुद्धि की प्रक्रिया है- जिसमे नेति, नौली, त्राटक, कपालभाति, बस्ति आदि प्रमुख है। राजयोग की सिद्धि के लिए हठयोग की आवश्यकता पड़ती है। दोनों का लक्ष्य मोक्ष है।
सबसे पहले विश्वविद्यालय के इलेक्ट्रिकल इंजीनियर श्रवण कुमार की स्मृति में दो मिनट का मौन रखा गया। तत्पश्चात कुलपति प्रो. पुनम टण्डन, मुख्य अतिथि डॉ. जयंत सिंह, अधिष्ठाता, कला संकाय प्रो. कीर्ति पांडेय एवं शोधपीठ के उप निदेशक डॉ. कुशल नाथ मिश्र के द्वारा गुरु गोरखनाथ के चित्र पर पुष्पार्चन किया गया। इसके बाद शोधपीठ के उप निदेशक डॉ. कुशलनाथ मिश्र द्वारा अतिथियों का स्वागत एवं कार्यशाला का विवरण प्रस्तुत किया गया। प्रो. अनुभूति दुबे ने बच्चों के प्रयास की सराहना की।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. पूनम टण्डन ने संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि यह दुख का अवसर है कि श्रवण कुमार अब हमारे बीच नहीं है। योग के लाभ को पूरे विश्व ने मान्यता दी है। इसका प्रचार प्रसार पूरे विश्व में चल रहा है। उन्होंने प्रतिभागियों को बधाई दिया।
कार्यक्रम का संचालन शोधपीठ के शोध अध्येता डॉ. हर्षवर्धन सिंह के द्वारा किया गया। धन्यवाद ज्ञापन रिसर्च एसोसिएट डॉ. सुनील कुमार द्वारा किया गया। इस कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के विभिन्न शिक्षकों सहित प्रो. शरद मिश्र, डॉ. पद्मजा सिंह, सहायक निदेशक डॉ. सोनल सिंह, डॉ. संजय कुमार राम, डॉ. रमेश चंद, डॉ. रंजन लता, डॉ. प्रियंका, डॉ. संजय कुमार तिवारी, डॉ. कुलदीपक शुक्ल, सहायक ग्रंथालयी डॉ. मनोज कुमार द्विवेदी, चिन्मयानन्द मल्ल आदि एवं छात्र-छात्रायें उपस्थित रहे। इस कार्यशाला के साथ ही कार्यशाला सहभागिता का प्रमाण पत्र का वितरण भी कुलपति के हाथों किया गया।

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