- योग से समुदायिकता का विकास- प्रो. अनुभूति दुबे
गोरक्षनाथ शोधपीठ में शीतकालीन योग कार्यशाला का शुभारंभ
गोरखपुर (राष्ट्र की परम्परा)। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय स्थित महायोगी गुरु श्रीगोरक्षनाथ शोधपीठ द्वारा कुलपति प्रो. पूनम टण्डन के संरक्षण में मंगलवार को सप्तदिवसीय शीतकालीन योग कार्यशाला ‘ योग एवं दर्शन ’ विषयक का शुभारंभ हुआ। कार्यशाला 23 दिसम्बर तक चलेगा। कार्यक्रम का शुभारम्भ समारोह के मुख्य अतिथि दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय की प्रो. अनुभूति दुबे, अधिष्ठाता छात्र कल्याण, गुआकटा के महामंत्री डॉ. निरंकार राम त्रिपाठी एवं शोधपीठ के उप निदेशक डॉ. कुशलनाथ मिश्र द्वारा गुरु गोरक्षनाथ के चित्र पर पुष्पार्चन एवं दीप प्रज्ज्वलन कर किया। शोधपीठ के उप निदेशक डॉ. कुशलनाथ मिश्र के द्वारा प्रस्ताविकी एवं स्वागत के साथ कार्यक्रम की शुरुआत की गई।
मुख्य तिथि प्रो. अनुभूति दुबे ने योग के महत्त्व को बताते हुए योग को समाज के जोड़ने में अहम कड़ी बताया। उन्होंने कहा कि यहाँ आसन, श्वास आदि क्रिया प्रतिभागी सीखेंगे। योग हमारे मानसिक स्वास्थ्य संवर्धन के लिए विशेष महत्वपूर्ण है। योग से समुदायिकता का विकास होता है। मानसिक व्याधियों को कम करने में मदद मिलती है।
इस कार्यशाला में योग प्रशिक्षण का कार्यक्रम भी आयोजित किया गया। योग प्रशिक्षक डॉ. विनय कुमार मल्ल के द्वारा योग का प्रशिक्षण दिया गया। उन्होंने अनेक योगासनों एवं प्राणायाम का प्रशिक्षण दिया। योग प्रशिक्षण में लगभग 50 लोगों ने भाग लिया। जिसमें स्नातक, परास्नातक, शोध छात्र आदि विद्यार्थी एवं अन्य लोग सम्मिलित हुए।
इस कार्यशाला में शोधपीठ के रिसर्च एसोसिएट डॉ. सुनील कुमार, वरिष्ठ शोध अध्येता डॉ. हर्षवर्धन सिंह, चिन्मयानन्द उपस्थित रहे। गोरक्षनाथ शोधपीठ की सहायक निदेशक डॉ. सोनल सिंह द्वारा इस कार्यक्रम का संचालन एवं सहायक ग्रन्थालयी डॉ. मनोज कुमार द्विवेदी द्वारा मुख्य अतिथि एवं प्रशिक्षक सहित समस्त प्रतिभागियों को धन्यवाद ज्ञापित किया गया। इस कार्यशाला का फेसबुक लाइव प्रसारण किया गया।
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