गोरखपुर(राष्ट्र की परम्परा)
7 सीएलए में दर्ज नंबरों को चेक करने के बाद ही निबंधन कार्यालय में रजिस्ट्री करने की दी जानी चाहिए अनुमति, जिससे भू माफियाओं द्वारा अवैध तरीके से बेची जा रही सरकारी जमीनों को बेचने पर लगाया जा सके रोक। गोरखपुर देवरिया जनपद में लगभग सीलिंग की 70000 एकड़ जमीनों पर भू माफिया की नजर भू माफियाओं से जमीनों को बेचने से रोकने के लिए प्रत्येक जनपद मुख्यालय और तहसीलों में मौजूद 7 सीएलए रजिस्टर मे दर्ज जमीनों के नंबरों की जांच करने के बाद ही निबंधन कार्यालय को रजिस्ट्री करने की अनुमति दिया जाए, जिससे भू माफिया की मकड जाल से सरकारी जमीनों को बेचने से बचाया जाए। अमूमन देखा जाता है कि निबंध अधिकारी अधिक से अधिक रजिस्ट्री करने के चक्कर में सरकार को करोड़ों रुपए की सरकारी संपत्ति को बेचने से नहीं रोक पा रहा 2 लाख के स्टांप के चक्कर में दो करोड़ की सरकारी जमीन रजिस्ट्री हो जाती है, सरकारी जमीनों को बिकने से रोकने के लिए 7 सीएलए रजिस्टर में दर्ज नंबरों की जांच करने के बाद ही रजिस्ट्री करने की अनुमति दिया जाए, जिससे करोड़ों रुपए की संपत्ति को बिकने से बचाया जा सके। गोरखपुर निवासी पुरुषोत्तम दास अग्रवाल पुत्र गब्बू लाल की गोरखपुर बस्ती संत कबीर नगर महराजगंज सिद्धार्थ नगर देवरिया में लगभग 2000 जमीन थी जिसमें इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा गोरखपुर के झारखंडी टुकड़ा नंबर एक टुकड़ा नंबर दो टुकड़ा नंबर 3 स्थित 471 एकड़ की जमीनों पर स्थगन आदेश प्राप्त है बाकी गोरखपुर बस्ती संत कबीर नगर महराजगंज सिद्धार्थ नगर देवरिया के किसी भी जमीन पर स्थगन आदेश नहीं है, वह सरकार की जमीन है। सरकार उन जमीनों पर महत्वाकांक्षी योजनाओं को अमलीजामा पहना सकती है, लेकिन भू माफियाओं द्वारा भोले भाले जनता को बेचकर मोटी रकम कमाने का कार्य कर रहे कुछ न्यायालय में सब कुछ जानते हुए भी सीलिंग की जमीन भू माफियाओं के पक्ष में आदेश कर देते हैं। लेकिन खतौनी पर नहीं चढ़ाया जाता है जिसका फायदा भू माफिया उठा रहे हैं।