भारतीय वायुसेना दिवस- गर्व, शौर्य और समर्पण का प्रतीक दिन
नई दिल्ली (राष्ट्र की परम्परा डेस्क)।
भारतीय इतिहास के गौरवशाली पन्नों में 8 अक्टूबर एक ऐसा दिन है, जब देश के आकाश में साहस, अनुशासन और समर्पण की मिसाल लिखी गई। आज ही के दिन, वर्ष 1932 में भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) की नींव रखी गई थी। तभी से यह दिन भारतीय रक्षा इतिहास का अमिट अध्याय बन चुका है। हर साल 8 अक्टूबर को देशभर में वायुसेना दिवस (Air Force Day) पूरे सम्मान, जोश और देशभक्ति के साथ मनाया जाता है।
“आकाश के प्रहरी- धरती के गर्व”
भारतीय वायुसेना केवल सीमाओं की रक्षा का प्रतीक नहीं, बल्कि यह राष्ट्र की शक्ति, अनुशासन और आत्मनिर्भरता की उड़ान का प्रतीक बन चुकी है।
🛫 भारतीय वायुसेना की स्थापना: गर्व की उड़ान की शुरुआत
8 अक्टूबर 1932 को ब्रिटिश शासनकाल में भारत की वायुसेना का गठन “रॉयल इंडियन एयर फोर्स (RIAF)” नाम से किया गया था। प्रारंभिक दौर में इसमें केवल छह अधिकारी और 19 वायुसैनिक थे। इसके पहले कमांडिंग ऑफिसर सर टॉम वॉकर एलम यंग थे। 1947 में आज़ादी के बाद और 1950 में भारत के गणराज्य बनने के पश्चात इसका नाम बदलकर “भारतीय वायुसेना (Indian Air Force – IAF)” कर दिया गया।
आज यह वायुसेना न केवल एशिया की प्रमुख सैन्य शक्ति है, बल्कि विश्व की चौथी सबसे बड़ी वायुसेना के रूप में जानी जाती है। इसकी ताकत में शामिल हैं अत्याधुनिक लड़ाकू विमान जैसे रफाल, सुखोई-30MKI, मिराज-2000, तेजस और जगुआर।
🇮🇳 राष्ट्र की सुरक्षा का सशक्त प्रहरी
भारतीय वायुसेना का ध्येय वाक्य है — “नभः स्पृशं दीप्तम्”, जिसका अर्थ है “आकाश को छूते हुए तेजस्वी रहो।”
यह श्लोक भगवद्गीता से लिया गया है, जो वायुसेना के साहस, शौर्य और गौरव का प्रतीक है।
साल दर साल भारतीय वायुसेना ने न केवल युद्धों में अपनी क्षमता साबित की, बल्कि राहत और बचाव अभियानों में भी मानवता की मिसाल पेश की।
1947-48: कश्मीर युद्ध में निर्णायक भूमिका निभाई।
1965 और 1971 के भारत-पाक युद्धों में वायुसेना की विजयगाथा अमर है।
कारगिल युद्ध (1999) में “ऑपरेशन सफेद सागर” के तहत वायुसेना ने दुर्गम चोटियों पर बैठे दुश्मनों को खदेड़ दिया।
🔹 क्रॉसर 2: “नभ में निडर, संकट में सहायक”
वायुसेना ने हमेशा युद्ध के साथ-साथ शांति के समय में भी देशवासियों की रक्षा की — चाहे वह आपदा राहत हो या अंतरराष्ट्रीय मानवीय मिशन।
🌪️ जब वायुसेना बनी मानवता की आशा
भारतीय वायुसेना का इतिहास केवल युद्धक विजय तक सीमित नहीं है।
यह हर बार तब भी आगे आई है जब देश पर कोई प्राकृतिक आपदा आई —
उत्तराखंड त्रासदी (2013) में हजारों लोगों की जान बचाई।
जम्मू-कश्मीर में बाढ़ (2014) और
नेपाल भूकंप (2015) में राहत सामग्री और लोगों को सुरक्षित निकालने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
इन अभियानों ने यह सिद्ध किया कि वायुसेना केवल एक रक्षा बल नहीं, बल्कि मानवता का प्रहरी भी है।
🌏 आत्मनिर्भर भारत की दिशा में नई उड़ान
आज भारतीय वायुसेना “मेक इन इंडिया” और “आत्मनिर्भर भारत” के सपनों को साकार कर रही है।
देशी तकनीक से विकसित हल्के लड़ाकू विमान (LCA) तेजस,
C-295 ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट, और
रडार, मिसाइल सिस्टम जैसी परियोजनाएँ न केवल वायुसेना की ताकत बढ़ा रही हैं, बल्कि भारत की स्वदेशी रक्षा उद्योग को भी मजबूती दे रही हैं।
रक्षा मंत्रालय के अनुसार, आने वाले वर्षों में भारत पूरी तरह स्वदेशी फाइटर जेट, ड्रोन और हवाई रक्षा तंत्र में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में तेजी से बढ़ रहा है।
🎖️ गौरवशाली पल और नायकों की कहानियाँ
वायुसेना के इतिहास में ऐसे अनेक योद्धाओं ने जन्म लिया जिन्होंने अपने पराक्रम से देश का मस्तक ऊँचा किया।
मिग-21 के पायलट अभिनंदन वर्धमान, जिन्होंने 2019 में पाकिस्तानी F-16 को मार गिराया।
फ्लाइट लेफ्टिनेंट हर्षा सिंह, स्क्वाड्रन लीडर मोहना सिंह, फ्लाइट लेफ्टिनेंट भावना कंठ और अवनी चतुर्वेदी — ये नाम भारत में महिलाओं की नई उड़ान के प्रतीक बन चुके हैं।
“वीरों के आकाश में लहराता तिरंगा”
हर मिशन, हर युद्ध और हर राहत कार्य में भारतीय वायुसेना ने यह दिखाया है कि उसके पंख केवल लोहे के नहीं, बल्कि साहस और देशप्रेम से बने हैं।
💬 देशभर में मनाया जाता है वायुसेना दिवस
हर वर्ष 8 अक्टूबर को वायुसेना मुख्यालय, नई दिल्ली के साथ-साथ
गाज़ियाबाद के हिंडन एयर बेस पर भव्य परेड, एयर शो और सम्मान समारोह आयोजित किए जाते हैं।
इस अवसर पर देशभर में लाखों नागरिक, छात्र और युवा
भारत के वीर पायलटों को सलाम करते हैं।
राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, रक्षा मंत्री और तीनों सेनाओं के प्रमुख
इस दिन वायुसेना के जवानों को बधाई देते हैं और शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं
भारतीय वायुसेना केवल एक सैन्य शक्ति नहीं, बल्कि राष्ट्र की आत्मा का वह हिस्सा है
जो हर पल देश के लिए समर्पित रहती है।
8 अक्टूबर का दिन हमें यह याद दिलाता है कि
“हमारे आकाश में हर उड़ान केवल विमान की नहीं, बल्कि भारत के गर्व की है।”