
महराजगंज (राष्ट्र की परम्परा)।भारत-नेपाल सीमा से सटे परसा मलिक थाना क्षेत्र के सीमावर्ती गांव रेहरा में इन दिनों गेहूं की तस्करी ने एक बार फिर रफ्तार पकड़ ली है। प्राप्त समाचार के अनुसार, यह तस्करी न केवल सुनियोजित है बल्कि इसके पीछे एक संगठित गिरोह सक्रिय है, जिसे स्थानीय प्रशासन, पुलिस, एसएसबी और कस्टम विभाग का मौन समर्थन प्राप्त है। बताया जा रहा है कि भारी मात्रा में अनाज दिन में पिक-अप के जरिए रेहरा पहुंचाया जाता है, जहां से रात के अंधेरे या सुबह-सवेरे साईकिल और मोटरसाइकिल सवार कैरियर्स उसे नेपाल सीमा पार पहुंचाते हैं। यह पूरी प्रक्रिया बेहद निर्भीकता से संचालित हो रही है। सुरक्षा एजेंसियों की भूमिका पर सवाल उठने लगे हैं। परसा मलिक थाना पुलिस की निष्क्रियता चर्चा का विषय बनी हुई है। जबकि सीमा की निगरानी में तैनात एसएसबी और कस्टम विभाग की चुप्पी भी कई संदेहों को जन्म दे रही है। नागरिकों का कहना है कि प्रशासनिक मिली-भगत के बिना इतनी बड़ी मात्रा में तस्करी संभव नहीं है। ग्रामीणों का आरोप है कि रेहरा सहित अन्य सीमावर्ती क्षेत्रों में अवैध गोदामों में खुलेआम अनाज की बोरियां भरी जाती हैं, लेकिन किसी भी अधिकारी की नजर इस पर नहीं पड़ती। यह तस्करी न केवल सरकारी खाद्यान्न वितरण प्रणाली को नुकसान पहुंचा रही है, बल्कि देश की खाद्यान्न सुरक्षा पर भी खतरा बनती जा रही है। अब देखना होगा कि प्रशासन इस गम्भीर मामले में कब जागता है और तस्करों के खिलाफ क्या कार्यवाही करता है।
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