बलिया (राष्ट्र की परम्परा)
गड़हा महोत्सव के रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम में ‘अंकुश’ ‘राजा’ दोनों भाइयों की जोड़ी ने गीत गाकर कार्यक्रम को अर्श की ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया। लोग झूमने नाचने पर मजबूर हो गए। इसी बीच आम्रपाली दूबे संग मंच पर आए आजमगढ़ के सांसद दिनेश लाल यादव ‘निरहुआ’ ने ‘नयी झुलनी के छैंया बलम दुपहरिया बिताई द हो’ और ‘बाबा के बुल्डोजर’ गाकर दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया। इससे पहले सांस्कृतिक कार्यक्रम की शुरुआत ट्वेंटी ट्वेंटी गीत संगीत प्रतियोगिता के विजेता अनुभव सिंह ने अपनी गीतों से किया। स्वागत गीत गोपाल राय ने प्रस्तुत किया। भोजपुरी के भीष्म पितामह भरत शर्मा व्यास ने अपने सुरों की तान से पुराने दिनों की याद ताजा कर दी। उसके बाद अनुभा राय ने ‘फेंक दिहले थरिया’ गाकर दर्शकों का मनोरंजन किया। मनोहर सिंह के ‘अंचरवा ओढइह असरवा पुरा के’ ने समां बांधा तो आलोक पांडेय ने ‘जां से भी ज्यादा चाहा था जिसको’ गाकर युवाओं का दिल लूट लिया। अंकुश और राजा दोनों भाइयों ने गणेश वंदना और विंध्याचली भवानी के महिमा से शुरू कर ‘हम के फंसा ली बंगलिनिया हो’ गाकर गड़ा महोत्सव के सांस्कृतिक कार्यक्रम को और उसकी ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया। लंबे इंतजार के बाद मंच पर आईं शिल्पी राज ने ‘बुलेट पर जीजा’ गाया तो आम्रपाली दूबे और डिंपल सिंह जैसी अभिनेत्रियां झूमने पर मजबूर हो गयीं। उसके बाद तो शिल्पी ने ‘गोरे हंथवा पर नाम सजनवा के’ और ‘झारस जब बार सैंया जी’ गाया तो दर्शक हाथों में रुमाल और गमछा लेकर उड़ानें लगे। राधा श्रीवास्तव की ‘चटनियां ए राजा सिलवट पर पीसीं’ और प्रणव कान्हा के ‘नैन से नैन मिले’ को दर्शकों का खूब समर्थन मिला। अनुपमा यादव और आम्रपाली दूबे ने ‘पिया जी के मुस्की’ गाकर महफ़िल जमा दी गड़हा विकास मंच द्वारा आयोजित इस सांस्कृतिक कार्यक्रम में देर रात तक श्रोता गायकों के स्वर लहरियों और सुप्रसिद्ध नृत्यांगना हीना की नृत्य में गोता लगाते रहे। संचालन विजय बहादुर सिंह व जय प्रकाश जिद्दी ने किया।
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