January 29, 2025

राष्ट्र की परम्परा

हिन्दी दैनिक-मुद्द्दे जनहित के

ख़ुशियों से नीरसता पर विजय दिलाना होगा

ख़ुशियों से नीरसता पर
विजय दिलाना होगा,
होंठों पर मुस्कान सजा
हर हृदय हँसाना होगा,
निष्काम प्रेम, निष्काम भक्ति
का पाठ पढ़ाना होगा,
व्यथित हृदय होकर भी
हर व्यथा भुलाना होगा।
ख़ुशियों से नीरसता पर…

जिसके घर बच्चे भूखे हों,
राशन पहुँचाना होगा,
दीन, दुखी व निबलों को
जीना सिखलाना होगा,
जिनकी आशा टूट चुकी
उन्हें आश बँधाना होगा,
भारत की पावन धरती को
ख़ुशहाल बनाना होगा।
ख़ुशियों से नीरसता पर….

स्वप्न देखना छोड़ चुके जो,
उन्हें जगाना होगा,
अच्छे भविष्य की कल्पना से
उनको साकार कराना होगा,
बात पते की अनुभव कहता,
उनको बतलाना होगा,
कल्पना का एक दायरा
निश्चित करवाना होगा।
ख़ुशियों से नीरसता पर….

आधा-अधूरा ही हो,
पर पूरा करवाना होगा,
जो पूरा न हुआ है तो भी
प्रोत्साहन देना होगा,
आने वाले हसीन लम्हों
की याद दिलाना होगा,
खुशियों के उन लम्हों की
ओर बढ़ जाना होगा।
ख़ुशियों से नीरसता पर…

गाँवों से शहर की दूरी
बहुत अधिक थी लगती,
पढ़ लिखकर जब निकले
दूरी घटती सी लगती,
पहुँचे जब शहरों में, सोचा,
थोड़ा और सोचना होगा,
मन मलीन न करे कोई,
हौंसला दिलाना होगा।
ख़ुशियों से नीरसता पर….

गाँव की याद सतायी जब
पुनः लौट कर आये,
शहर गाँव की हर घटना
अब अपनी ही है लगती,
खेतों खलिहानों के पास
आए तो फिर लगा,
जड़ें यहीं थीं, इनको फिर से
मजबूत बनाना होगा।
ख़ुशियों से नीरसता पर…

अब शहरों की भीड़
बर्दाश्त नहीं हो पाती है,
मन वापस गाँव में रमता है,
चौपालें जमती हैं,
कुछ कुछ गुण अवगुण
अब बोझिल से लगते हैं,
आदित्य शहर की लड़ियाँ
सपनों की जलाना होगा।
ख़ुशियों से नीरसता पर।

  • कर्नल आदि शंकर मिश्र ‘आदित्य’