
खंड शिक्षा अधिकारी के माध्यम से राज्यपाल को सौंपा गया ज्ञापन
ग्राम सभा बहदुरा ने जताया विरोध, कहा- कॉरपोरेट हित में बंद हो रहे सरकारी स्कूल
बलिया(राष्ट्र की परम्परा)उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा परिषदीय विद्यालयों के मर्जर की नीति का विरोध अब गांव-गांव में तेज होने लगा है। मनियर क्षेत्र के ग्राम बहदुरा के सैकड़ों ग्रामवासियों व छात्र प्रतिनिधियों ने विद्यालय बंद होने पर कड़ी आपत्ति जताई है और राज्यपाल को संबोधित छह बिंदुओं वाला ज्ञापन सौंपा है। छात्र सभा बहदुरा की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि ग्राम सभा बहदुरा के तीन विद्यालय — प्राथमिक विद्यालय बहदुरा, प्राथमिक विद्यालय गायघाट, बहदुरा, और पूर्व माध्यमिक विद्यालय बहदुरा — को बंद कर दिया गया है, जबकि ये तीनों विद्यालय पिछले 50 वर्षों से नियमित रूप से संचालित होते आ रहे थे और छात्रों की संख्या भी 50 के मानक के करीब थी। ग्रामवासियों ने बताया कि विद्यालय बंद होने से दलित, पिछड़े व आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के बच्चों की शिक्षा बुरी तरह प्रभावित हो रही है। छात्र-छात्राओं को अब गांव से बाहर दूरस्थ विद्यालयों में पैदल जाना पड़ता है, जिससे सड़क दुर्घटना व छेड़छाड़ जैसे जोखिम भी बढ़ गए हैं।ज्ञापन में यह भी कहा गया है कि सरकारी विद्यालयों में अनुभवी शिक्षक शिक्षा देते थे जबकि निजी विद्यालयों में महंगे शुल्क के बावजूद अकुशल शिक्षकों द्वारा पढ़ाई कराई जा रही है, जिससे बच्चों के भविष्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।छात्र सभा के प्रतिनिधियों ने आरोप लगाया कि सरकार की इस नीति के पीछे कॉरपोरेट शिक्षा व्यवस्था को बढ़ावा देने की मंशा है, जिससे गरीब व सामान्य वर्ग के बच्चों का भविष्य संकट में है। छात्र सभा बहदुरा ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही विद्यालयों को पुनः बहाल नहीं किया गया तो समस्त ग्रामवासी बड़ा आंदोलन शुरू करने को बाध्य होंगे।प्रतिनिधि मंडल में प्रमुख रूप से भुराल आनंद ‘भारतीय’, अमन सरकार, सुरेन्द्र कुमार आदि शामिल रहे।
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