कपरवार/देवरिया (राष्ट्र की परम्परा)।
स्थानीय कपरवार गांव में चल रहे श्रीमद्भागवत ज्ञान यज्ञ में कथाव्यास डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र ने श्रद्धालुओं को प्रवचन सुनाते हुए कहा कि शक्ति का दुरुपयोग मनुष्य को देव से दैत्य बना देता है। उन्होंने कहा कि “देव बनो या दैत्य, यह सब अपने कर्मों पर निर्भर करता है।” जो व्यक्ति दूसरों की संपत्ति पर अधिकार जमाकर, अपनी शक्ति का दुरुपयोग करते हुए प्राणिमात्र को कष्ट पहुँचाता है, वही दैत्य कहलाता है।
कथाव्यास ने हिरण्याक्ष और हिरण्यकशिपु के प्रसंग का वर्णन करते हुए बताया कि जब भगवान वाराह ने हिरण्याक्ष का वध किया तो उसके परिवारजन शोक में डूब गए। तब हिरण्यकशिपु ने उन्हें समझाया कि “जिसका जन्म हुआ है, उसकी मृत्यु निश्चित है।” इसके बाद हिरण्यकशिपु ने मंदराचल पर्वत पर जाकर कठोर तपस्या की और ब्रह्मा जी से अमरत्व का वरदान माँगा।
ब्रह्मा जी ने कहा कि जो जन्म लेता है उसकी मृत्यु निश्चित है, इसलिए कुछ और वर माँगिए। तब हिरण्यकशिपु ने मांगा कि वह न रात में मरे, न दिन में, न धरती पर, न आकाश में, न घर के अंदर, न बाहर, न किसी अस्त्र-शस्त्र से और न किसी प्राणी या अप्राणी से। यह वरदान पाकर वह त्रिलोक का स्वामी बन बैठा।
लेकिन जब उसने अपने ही पुत्र प्रह्लाद, जो भगवान के परम भक्त थे, को मारने का प्रयास किया, तब भगवान नरसिंह स्तंभ (खंभे) से प्रकट होकर हिरण्यकशिपु का अंत कर दिया। डॉ. मिश्र ने कहा कि यह प्रसंग हमें यह सिखाता है कि अहंकार और शक्ति का दुरुपयोग अंततः विनाश का कारण बनता है।
कार्यक्रम में मुख्य यजमान सुरेंद्र प्रसाद गुप्त, राम अवध गुप्त, अनिल गुप्त, अरविंद कुमार, अनिल मिश्र, अमित मिश्र, श्रवण गुप्त सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे और भागवत कथा का रसपान किया।
