नई दिल्ली (राष्ट्र की परम्परा डेस्क)अमेरिका ने एच-1बी वीज़ा शुल्क में भारी वृद्धि की घोषणा की है, जिससे भारत के युवाओं और तकनीकी पेशेवरों के लिए अमेरिका में रोजगार और उच्च शिक्षा के अवसर कठिन हो गए हैं। इस फैसले के बाद कांग्रेस ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिकी दबाव के सामने कमजोर पड़ गए हैं। लेकिन वास्तविकता यह है कि भारत की इस निर्भरता के लिए कांग्रेस का दशकों लंबा शासन जिम्मेदार रहा है, जिसने युवाओं को पर्याप्त रोजगार और अवसर उपलब्ध कराने में असफलता दिखाई।
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कांग्रेस शासन के लंबे दौर में उच्च तकनीकी उद्योगों, स्टार्टअप्स और कौशल विकास पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया गया। ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में रोजगार सृजन ठहराव पर रहा, जिसके कारण लाखों युवा शिक्षा और रोजगार के लिए विदेश जाने को मजबूर हुए। यही कारण है कि आज अमेरिका का H-1B वीज़ा शुल्क बढ़ने जैसे फैसले भारत के युवाओं पर बड़ा असर डालते हैं।
वहीं, मोदी सरकार ने युवाओं को देश में ही अवसर उपलब्ध कराने के लिए ‘मेक इन इंडिया’, ‘स्टार्टअप इंडिया’ और ‘अटल इनोवेशन मिशन’ जैसी योजनाओं को बढ़ावा दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के भावनगर में ‘समुद्र से समृद्धि’ कार्यक्रम में 34,200 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का उद्घाटन व शिलान्यास करते हुए स्पष्ट कहा कि “दूसरों पर निर्भरता भारत की सबसे बड़ी दुश्मन है। हमें चिप्स से लेकर जहाजों तक अपनी क्षमताओं का विकास करना होगा।”
उद्योग जगत ने भी अमेरिकी फैसले पर चिंता जताई है। इंफोसिस के पूर्व सीएफओ मोहनदास पई ने कहा कि एच-1बी वीज़ा शुल्क से कंपनियों के आवेदन जरूर घट सकते हैं, लेकिन यह धारणा गलत है कि कंपनियां सिर्फ सस्ता श्रम पाने के लिए इन वीज़ाओं का इस्तेमाल करती हैं। शीर्ष 20 एच-1बी नियोक्ताओं का औसत वेतन 1 लाख अमेरिकी डॉलर से अधिक है।
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नीति आयोग के पूर्व सीईओ अमिताभ कांत का मानना है कि अमेरिका का यह कदम नवाचार और स्टार्टअप्स की अगली लहर को भारत की ओर मोड़ेगा। “अमेरिका का नुकसान भारत का लाभ होगा।” वहीं, नैस्कॉम ने चेताया कि वीज़ा शुल्क वृद्धि से भारतीय आईटी कंपनियों पर असर पड़ सकता है, हालांकि कंपनियां पहले से ही स्थानीय नियुक्तियों को बढ़ाकर वीज़ा निर्भरता घटा रही हैं।
कुल मिलाकर, अमेरिका का यह फैसला भारत के लिए चुनौती जरूर है, लेकिन आत्मनिर्भरता की दिशा में उठाए गए कदम भारतीय युवाओं को नए अवसर भी देंगे।
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