
आजमगढ़ (राष्ट्र की परम्परा) मुबारकपुर थाना क्षेत्र के बनकट बाजार के पास स्थित लंगरपुर गांव में हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी उर्श का आयोजन किया गया जो देर रात तक चला और हर्षोल्लास के साथ समाप्त हुआ
उर्स के संचालक मकबूल बाबा ने सफाई ना होने के सवाल पर मीडिया को बताया कि हमने जब सफाई करने के लिए सफाई कर्मी से कहा तो उसने सीधे कहा कि हमें प्रधान प्रतिनिधि सफाई करने से मना किए हैं
इस संबंध में जब प्रधान प्रतिनिधि से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि हमने ऐसा कुछ नहीं कहा है हमारे ऊपर लगाया गया आरोप गलत है मामला कुछ भी हो इस गांव में लगने वाला मेला अपने आप में एक ऐतिहासिक मेला है । इस मेले की खासियत यह है कि यहां एक बाबा की मजार है जिनकी मजार पर लोग मत्था टेकते हैं और मुरादे मांगते हैं मुराद पूरी हो जाने पर यहां मुर्गा मलीदा चादर फूल माला और बतासा आदि चढ़ाते हैं साथ ही साथ उनकी मजार पर आने से लोगों का जादू टोना और भूत प्रेत भी छूटता है ।
लोगों का ऐसा मानना है कि यह मजार लोगों के दुखों की कारण का निवारण बनी हुई है इसी वजह से इस मेले में टोना जादू और भूत प्रेत से पीड़ित लोग अधिक से अधिक संख्या में आते हैं साथ ही साथ जो बे औलाद हैं वह लोग भी औलाद की प्राप्ति के लिए यहां आकर मन्नते मांगते हैं। यह मेला प्रातः काल से प्रारंभ होकर पूरी रात चलता है मेले में दूर दूर से दुकानदार अपनी-अपनी दुकानें लाकर मेले की शान बढ़ाते हैं वही झूला चरखी वाले बच्चों को अपनी तरफ आकर्षित करते हैं इस झूले चरखी पर बच्चे झूल कर आनंद लेते हैं । इस मेले की सबसे बड़ी कमी यह रही कि मेले के अंदर गंदगी का अंबार लगा रहा जिस में दुकानदार अपनी दुकान लगाने के लिए मजबूर थे दूरदराज से आए हुए श्रद्धालु धूल मिट्टी के ऊपर सोने के लिए मजबूर थे। मेले की सबसे बड़ी खासियत यह थी कि मेला संचालक मेले में आने वाले प्रत्येक श्रद्धालु को अपनी तरफ से निशुल्क भोजन करा रहे थे और यह सिलसिला प्रतिवर्ष मेले में चलता है।
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