December 22, 2024

राष्ट्र की परम्परा

हिन्दी दैनिक-मुद्द्दे जनहित के

मंडल रेल प्रबंधक कार्यालय में तुलसी जयंती का आयोजन

वाराणसी(राष्ट्र की परम्परा) मंडल रेल प्रबंधक कार्यालय के भारतेंदु सभागार कक्ष में राजभाषा विभाग के तत्वावधान में आयोजित गोस्वामी तुलसीदास जी की जयंती का आयोजन किया गया। मंडल रेल प्रबंधक ने कार्यक्रम का शुभारम्भ गोस्वामी तुलसीदास जी के चित्र पर माल्यार्पण कर किया तदुपरांत शाखा अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने पुष्पांजलि समर्पित की । इस अवसर पर आयोजित समारोह से मंडल रेल प्रबंधक श्री विनीत कुमार श्रीवास्तव ने राजभाषा विभाग द्वारा प्रकाशित त्रैमासिक पत्रिका “काशी प्रतिबिंब” के 27 वें अंक का विमोचन कवर हटाकर किया ।
इस अवसर पर अपर मंडल रेल प्रबंधक (इन्फ्रा.)सह अपर मुख्य राजभाषा अधिकारी श्री राहुल श्रीवास्तव, अपर मंडल रेल प्रबंधक (परिचालन) श्री राजेश कुमार सिंह,वरिष्ठ मंडल इंजीनियर(समन्वय) श्री राकेश रंजन, वरिष्ठ मंडल परिचालन प्रबंधक श्री अजय प्रताप सिंह, सहित मंडल के अन्य अधिकारी एवं मंडल कार्यालय पर कार्यरत कर्मचारी उपस्थित थे।
तुलसी जयंती के अवसर पर मंडल रेल प्रबंधक श्री विनीत कुमार श्रीवास्तव ने तुलसीदास जी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए हिन्दी साहित्य एवं धर्म के क्षेत्र में उनके योगदान पर प्रकाश डाला । उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि गोस्वामी तुलसीदास जी की जयंती के अवसर पर राजभाषा विभाग द्वारा प्रकाशित “काशी प्रतिबिंब’ के 27 वें अंक का विमोचन किया जाना हमारा सौभाग्य है । इस पत्रिका में ज्यादातर लेख एवं कविताएँ वाराणसी मंडल के रेल कर्मचारियों एवं अधिकारियों द्वारा रचित हैं । पत्रिका के माध्यम से मंडल में कार्यरत कर्मचारियों को राजभाषा हिन्दी के अधिकाधिक एवं अनुकरणीय प्रयोग को प्रोत्साहन मिलता है जिससे अन्य कर्मचारी भी हिंदी लेखन हेतु उत्प्रेरित होते हैं ।
इस अवसर पर सभी का स्वागत करते हुए अपर मंडल रेल प्रबंधक (इन्फ्रा.)सह अपर मुख्य राजभाषा अधिकारी श्री राहुल श्रीवास्तव ने अपने संबोधन में कहा कि वाराणसी मंडल के राजभाषा विभाग द्वारा नियमित रूप से ‘काशी प्रतिबिंब’ पत्रिका का प्रकाशन किया जाता है। पत्रिका के माध्यम से रेल कर्मचारियों को अधिक से अधिक कार्य हिंदी में करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है तथा कार्मिकों को हिंदी में लिखने पढ़ने की अभिरुचि पैदा करने के लिए भी प्रोत्साहित किया जाता है। अधिकांश रेल कर्मी अपने लेखों को प्रकाशित करवाते रहते हैं जिससे रेल कर्मियों को अपनी साहित्यिक प्रतिभा को प्रदर्शित करने का अवसर मिलता है।