वॉशिंगटन (राष्ट्र की परम्परा डेस्क)। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने महंगाई और उपभोक्ता असंतोष को देखते हुए बीफ, कॉफी, ट्रॉपिकल फलों समेत कई कृषि उत्पादों पर लगाए गए टैरिफ को खत्म कर दिया है। आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है कि यह कदम ट्रंप प्रशासन की टैरिफ आधारित आर्थिक नीति से स्पष्ट रूप से पीछे हटने का संकेत है।
टैरिफ हटाना—ट्रंप की नीति से यू-टर्न
अपने दूसरे कार्यकाल में ट्रंप ने आयातित वस्तुओं पर भारी शुल्क लगाकर घरेलू उद्योगों को बढ़ावा देने की नीति अपनाई थी। लेकिन रोजमर्रा के उपयोग वाली वस्तुओं से टैरिफ हटाना उनकी रणनीति में बड़ा बदलाव माना जा रहा है।
हाल ही में हुए ऑफ-ईयर चुनावों में वर्जीनिया और न्यू जर्सी जैसे राज्यों में मतदाताओं ने महंगाई को प्रमुख चुनावी मुद्दा बताया था। इन चुनावों में डेमोक्रेट्स की जीत के बाद ट्रंप प्रशासन पर दबाव और बढ़ गया।
ट्रंप की स्वीकारोक्ति—कीमतें बढ़ीं, पर “सीमित प्रभाव”
एयर फोर्स वन में पत्रकारों से बातचीत में ट्रंप ने कहा कि “हमने कॉफी सहित कुछ खाद्य पदार्थों पर शुल्क में थोड़ी कमी की है।”
जब उनसे पूछा गया कि क्या टैरिफ की वजह से उपभोक्ता कीमतें बढ़ीं, तो उन्होंने स्वीकार किया कि “कुछ मामलों में ऐसा हो सकता है।”
ट्रंप प्रशासन अब भी दावा करता है कि टैरिफ से सरकारी राजस्व बढ़ा और कीमतों पर “बहुत बड़ा” प्रभाव नहीं पड़ा। लेकिन बढ़ती महंगाई ने आम अमेरिकी उपभोक्ता को सबसे ज्यादा प्रभावित किया है।
डेमोक्रेट्स बोले—टैरिफ हटाना ट्रंप की गलती का प्रमाण
वर्जीनिया के डेमोक्रेटिक प्रतिनिधि डॉन बेयर ने कहा कि ट्रंप आखिरकार यह स्वीकार कर रहे हैं कि उनकी टैरिफ नीति ने अमेरिकी उपभोक्ताओं के लिए कीमतें बढ़ाईं।
बेयर के अनुसार, ताजा चुनावी नतीजे स्पष्ट संकेत हैं कि मतदाता महंगाई और टूटे वादों से नाराज हैं। उन्होंने कहा कि व्हाइट हाउस अब टैरिफ हटाने को “सस्ताई लाने का कदम” बताकर अपनी नीतिगत असफलता छिपाने की कोशिश कर रहा है।
