
पूर्वांचल में शोक की लहर
गोरखपुर (राष्ट्र की परम्परा)। शेरे पूर्वांचल, प्रदेश के पूर्व कैबिनेट मंत्री, बाहुबली राजनीतिज्ञ, ब्राह्मण नेता पंडित हरिशंकर तिवारी का मंगलवार की शाम करीब7.30 बजे, गोरखपुर स्थित आवास पर निधन हो गया। गोरखपुर जिले की चिल्लूपार विधानसभा से लगातार विधायक बनते रहे।
दो दशक से अधिक समय तक पूर्वांचल की राजनीति के सशक्त हस्ताक्षर पंडित हरिशंकर तिवारी के निधन की सूचना मिलते ही सैकड़ों की संख्या में उनके समर्थक व जानने वाले घर की तरफ दौड़ पड़े और कुछ ही देर में उनके हाता पर हजारों समर्थकों की भीड़ जुट गयी है।
स्व0 हरिशंकर तिवारी को लोग प्यार से बाबूजी कहकर बुलाते थे। यहां की राजनीति के इतिहास में, हजार किस्सों और कहानियों हे सुने जाने वाले स्व0 तिवारी सन 1985 से 2007 तक लगातार विधायक रहे चुने जाते रहे।
सन 1985 में पहली बार निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरे तो फिर कभी मुड़कर नहीं देखा और अनवरत विधानसभा जाते रहे। हालांकि राजनीतिक दल खूब बदले। कांग्रेस के टिकट पर तीन बार चुनाव जीते। फिर अपनी पार्टी बना ली। गोरखपुर की चिल्लूपार विधान सभा से 6 बार विधायक बने। सन 2012 में विधान सभा का चुनाव पहली बार हारे और इसके बाद उन्होंने चुनाव नहीं लड़ा।
जीवन के अनेक पड़ावों से गुजरते हुए 90 वर्ष के करीब पहुंच चुके पण्डित जी ब्राह्मण राजनीति के क्षत्रप अन्त तक बने रहे। 1997 में उन्होंने जगदंबिका पाल, राजीव शुक्ला, बच्चा पाठक, श्याम सुंदर शर्मा के साथ अखिल भारतीय लोकतांत्रिक कांग्रेस के संस्थापक सदस्य के रूप में अपनी ताकत दिखायी थी। भारतीय जनता पार्टी की कल्याण सिंह के नेतृत्व वाली सरकार में (1997-1999), मुलायम सिंह यादव सरकार (2003- 2007) में मंत्री बने। यही नहीं 2000 में वह राम प्रकाश गुप्ता के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार में स्टाम्प और पंजीकरण कैबिनेट मंत्री बनाए गए, 2001 में राजनाथ सिंह की सरकार में कैबिनेट मंत्री थे और 2002 में भी मायावती की सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाए गए ।
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