Saturday, October 18, 2025
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समय होत बलवान

एक अकेला मैं आया हूँ
और अकेला ही जाऊँगा,
एक अकेला चलना सीखा
और अकेला बढ़ जाऊँगा।

आस्था विश्वास अडिग मेरी
इनमें समझौता नहीं करूँगा,
बाधायें आयें कितनी भी,
भूल सभी कुछ जाऊँगा।

नहीं डरूँगा नहीं हटूँगा चाहे
कितना भी धमकाया जाये,
धर्म करूँगा, क़र्म करूँगा,
नर होकर न निराश करूँगा।

भूल नहीं सकता हूँ उनको,
जो साथ हमारे खड़े रहे,
जिनका प्रेम स्नेह मिला,
उनसे कैसे घृणा करूँगा।

जिनका है विश्वास मिला
उनसे विश्वास निभाऊँगा,
उनको क्यों धोखा देना,
उन सबको राह दिखाऊँगा।

समय एक सा नही रहेगा,
परिस्थितियाँ भी बदलेंगी,
यही सोच अनमोल बड़ी,
यही अडिग ताक़त देगी ।

स्थितिवश आज ताकतवर,
समय बड़ा बलवान मगर,
आदित्य बदलती स्थिति है,
तब ताक़त आती नहीं नज़र।

  • कर्नल आदि शंकर मिश्र ‘आदित्य’
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