
याद किये जाते हैं वे लोग
जो परोप कारी होते हैं,
अपनी कृतियों से, सदकर्मों
से सच्चे इंसान जो होते हैं।
यद्यपि याद करना और याद
आना, दो अलग अलग बातें हैं,
वैसे तो याद हम उन्हें ही करते हैं
जो शायद हमारे अपने होते हैं।
याद हम उनको आते हैं जो
हमें भी अपना समझते हैं ,
वैसे याद करना और याद
आना क्या एक जैसा ही है?
साधारण अर्थ में, मेरा मतलब
याद करने वाला और याद,
आने वाला दोनो जब अपने हैं
तो फिर अलग क्या हुआ ?
अच्छी भावना, लक्ष्य और
अच्छे विचार वाले लोग ही,
याद किये जाते हैं, शब्दों में,
मन में,वास्तविक जीवन में।
जिसे याद किया जाय मन में,
शब्दों में और जीवन में भी !
आदित्य वही तो ईश्वर है
वही ईश्वर का स्वरूप भी।
कर्नल आदि शंकर मिश्र ‘आदित्य’
More Stories
“पशु सेवा, जनसेवा से कम नहीं”विश्व पशु चिकित्सा दिवस पर एक विमर्श”
राजनीति की रंगमंचीय दुश्मनी और जनता की असली बेवकूफी
आलेख -अंग्रेजों से आजादी के बाद अब देश को धर्मनिरपेक्ष से आजादी चाहिए तभी देश के हिंदू सुरक्षित रह पाएंगे