आगरा(राष्ट्र की परम्परा)
उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ को लेकर बड़ा फैसला लिया गया है। अलीगढ़ का नाम हरिगढ़ करने का प्रस्ताव सभी पार्षदों द्वारा सर्वसम्मति से पास हो चूका हैं। इस प्रस्ताव को शासन से मंजूरी मिलते ही, जल्द ही अब अलीगढ़ को हरिगढ़ के नाम से पहचाना जाएगा।
इस सन्दर्भ में राष्ट्रवादी चिंतक राजेश खुराना ने मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बताया कि देश के दशकों से शहरों के नाम बदले जाते रहें है। ऐतिहासिकता, जनभावना और अन्य मुद्दों को ध्यान में रखते हुए अलीगढ़ का नाम बदलकर हरिगढ़ करने की मांग लंबे समय से हो रही थी। पुरानी सभ्यता और सनातन धर्म की परंपरा को आगे बढ़ाने के लए ये मांग आ रही थी, क्योकि लोग अब गुलामी के नामों से छुटकारा चाहते हैं। इसलिए लोग अपने शहर को अलीगढ़ के नाम से नहीं बल्कि हरिगढ़ के नाम से ही आज़ भी जानते हैं। अलीगढ़ को तालों की वजह से जाना जाता है। ज़ब कोल का नाम अलीगढ़ रखा जा सकता है, तो अलीगढ़ का नाम हरिगढ़ क्यों नहीं रखा जा सकता है। अब अलीगढ़ का नाम हरिगढ़ इसलिए रखा जा रहा है। क्योंकि, यहां स्वामी हरिदास की जन्मस्थली है। वही, अलीगढ़ में स्वामी हरिदास के नाम से हरिदासपुर गांव भी है। स्वामी हरिदास की पत्नी का स्मारक खेरेश्वर धाम में ही बना हुआ है। स्वामी हरिदास ने युवावस्था में गृह त्याग करके निधिवन को अपनी साधना स्थल बनाया था। अपने गाने की विधा के कारण वह विख्यात हैं। तानसेन जैसा सुप्रसिद्ध गायक उन्हीं का शिष्य था। ध्रुपद की रचना कर उन्होंने अपना स्थान अमर बना लिया था। सम्राट अकबर भी उनकी संगीत विद्या से प्रभावित थे। वहीं, अलीगढ़ का प्राचीन नाम कोल था। आज भी कोल तहसील और कोल विधानसभा क्षेत्र नाम प्रचलन में है। मथुरा और भरतपुर के जाट राजा सूरजमल ने 1753 में कोल पर अपना अधिकार कर लिया था। 6 नवंबर 1768 में यहां मुस्लिम सरदार मिर्जा का आधिपत्य हो गया था और 1775 में उनके सिपह सालार अफरसियाब खान ने अली के नाम पर कोल का नाम अलीगढ़ रखा था।
देश में दशकों से शहरों के नाम बदले जाते रहे है। कई रेलवे स्टेशन के भी नाम बदले जा चुके है। योगी सरकार में ही मुगलसराय रेलवे स्टेशन का नाम बदल कर पंडित दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन और झांसी रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर वीरांगना लक्ष्मीबाई रेलवे स्टेशन किया गया था। इससे पहले भी जिला पंचायत की पहली मीटिंग में अलीगढ़ का नाम हरिगढ़ रखने का प्रस्ताव पास हो चुका है। यह प्रस्ताव भी सर्वसम्मति से पास किया गया था। कई वर्ष पूर्व अलीगढ़ में जिला पंचायत बोर्ड की पहली बैठक हुई थी, जिसमे यह प्रस्ताव केहरी सिंह और उमेश यादव ने रखा था। सभी सदस्यों ने सर्वसम्मति से इसे पास कर दिया था। इसके बाद इस प्रस्ताव को शासन में भेजा गया था, जहां अब तक यह लंबित पड़ा है। वहीं, ऐतिहासिकता, जनभावना और अन्य मुद्दों को ध्यान में रखते हुए योगी सरकार में इलाहाबाद को प्रयागराज कर दिया और फैजाबाद को अयोध्या, मुगलसराय रेलवे स्टेशन को पंडित दीनदयाल उपाध्याय स्टेशन, गोरखपुर के उर्दू बाजार को हिंदी बाजार, हुमायूंपुर को हनुमान नगर, मीना बाजार को माया बाजार और अलीपुर को आर्य नगर किया गया। झांसी रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर वीरांगना लक्ष्मीबाई स्टेशन रखा गया है। बनारस रेलवे स्टेशन का काशी रेलवे स्टेशन हो चुका है। इसमें संभल, फर्रुखाबाद, सुल्तानपुर, फिरोजाबाद, शाहजहांपुर, आगरा, मैनपुरी और देवबंद शामिल हैं। हालांकि, बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी ने भी जिलों के नाम बदले हैं। संभल को भीम नगर, शामली को प्रबुद्ध नगर, हापुड़ को पंचशील नगर, हाथरस को महामाया नगर और कासगंज को काशीराम नगर बना दिया गया था, और 2012 में अखिलेश यादव ने मुख्यमंत्री बनकर पुराने नाम फिर से बहाल कर दिया था।
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