सिकन्दरपुर/बलिया (राष्ट्र की परम्परा)
जनपद में एक ऐसा भी थाना है जहां आने वाले प्रार्थनापत्र का निस्तारण पुलिस द्वारा जांच के बाद नहीं बल्कि थाना भवन में स्थित शहीद बाबा के मज़ार अथवा प्रांगण में मौजूद मन्दिर में आरोपी द्वारा हाँ या नहीं कहने पर पुलिस द्वारा फैसला कर दिया जाता है।वह कोई और नहीं अंग्रेजों के जमाने में निर्मित थाना सिकन्दरपुर है।हुआ यूं कि थाना क्षेत्र के ग्राम मुस्तफाबाद निवासी किसान नेसार अहमद के नलकूप का पम्प व अन्य सामान एक सप्ताह पूर्व चोर खोल ले गए थे।चोरी के दूसरे दिन निसार अहमद ने इस सम्बंध में सिकन्दरपुर थाने पर तहरीर दे दिया था।तहरीर मिलने के बाद हल्का दरोगा ने नेसार से कहा कि चोरी के बारे में अच्छी तरह से पता कर के नामजद प्रार्थनापत्र दीजिये।इस दौरान कई दिनों तक पूछताछ एवं जांच के बाद नेसार ने गांव के एक व्यक्ति के खिलाफ कल रविवार को नामजद प्रार्थनापत्र थाने पर दिया।जिस पर दोनों पार्टियों को आज सोमवार को थाने पर बुलाया गया और बिना किसी तरह के पूछताछ और जांच के कई घण्टे तक बैठाने के बाद थाना प्रभारी ने गोड़ जाति आरोपी से शहीद साहब के मजार पर केवल यह कहने को कहा कि तुम यह कह दो कि मैंने चोरी नहीं की है।मान लिया जाएगा कि वास्तव में तुमने चोरी नहीं किया है।आरोपी द्वारा मजार पर थाना प्रभारी की बात को दोहरा देने के बाद उसे घर भेज दिया गया।
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