बलिया(राष्ट्र की परम्परा)
स्थानीय क्षेत्र के विभिन्न गांवों में झोलाछाप डॉक्टरों की भरमार हो गई है। जो अवैध रूप से ग्रामीण क्षेत्रों के भोले-भाले मरीजों को बुद्धू बनाकर पैसा ठगते हैं, एवं उनका शोषण करते हुए उनके मर्ज को और बढ़ा देते हैं। इन डॉक्टरों के पास मेडिकल प्रेक्टिस करने के लिए किसी प्रकार का राइट प्रमाण पत्र नहीं है। ये झोलाछाप डॉक्टर्स होलसेल या रिटेल मेडिकल स्टोर के लाइसेंस, आरएमपी, बीएएमएस, जीएएमएस, एएनएम, जीएनएम, पैथोलॉजी आदि के फर्जी डिग्रियों के आधार पर ग्रामीण क्षेत्र के विभिन्न गांवों में धड़ले से प्रैक्टिस करते हैं। इन डॉक्टरों के पास मेडिकल ज्ञान का सम्पूर्ण अभाव है। ये कथित डॉक्टर्स शुगर, ब्लड प्रेशर, गठिया, अर्थराइटिस, रूमेटिक पेन, लिवर, किडनी, आंख-नाक-गला सहित हृदय रोग जैसे बड़े से बड़ा मर्ज ठीक करने का दावा करते हैं। मरीज के दुकान पर जाते ही ये दिखावे के लिए, स्ट्रेथोस्कोप, ब्लड प्रेशर मशीन लगाकर मरीज को चेक करते हैं। यहां तक कि ब्लड टेस्ट, एक्स-रे और अल्ट्रासोनोग्राफी के लिए भी लिख देते हैं। जबकि वास्तविकता यह होती है कि इन ऐसे डॉक्टरों को न तो स्ट्रेथोस्कोप का ज्ञान है, न किसी पैथोलॉजी को देखने का। मरीज को इनके दुकान पर जाते ही ये भुजा जैसा पैरासिटामाॅल, न्यूमसलाईड, डाइक्लोफिनेक, एसीक्लोफेनेक, आइबुफेन यहां तक कि डेक्सामेथासोन, बेटामेथासोन, प्रेडनिसोलोन आदि विभिन्न तरह की रिस्की दवाइयां देकर मरीजों से पैसा ऐंठते हैं तथा उन्हें और अधिक लिवर, किडनी आदि विभिन्न प्रकार के रोगों के स्थाई मरीज बना देते हैं। इन सब दवाओं के इस्तेमाल से मरीजों को तात्कालिक या क्षणिक लाभ तो होता है, लेकिन फर्जी/नकली दवाओं के इस्तेमाल और गलत कांबिनेशन, गलत डोज के कारण इन सब दवाओं का साइड इफेक्ट अधिक होता है। इन सब डॉक्टर्स को यह पता नहीं होता है कि किस दवा के साथ, किस दवा का कांबिनेशन देना चाहिए या कौन सी दवा आजकल प्रतिबंधित की गई है। कौन या किस दवा का, किस रोग में साइड इफेक्ट है, यहां तक कि इन डॉक्टरों का प्रैक्टिस का मूल आधार डेक्सामेथासोन, बेटामेथासोन, प्रेडनिसोलोन आदि विभिन्न प्रकार की नकली एवं फर्जी मल्टीविटामिन्स, नकली एवं फर्जी हानिकारक मल्टीविटामिन सिरप आदि फर्जी और नकली एवं प्रतिबंधित दवाएं हैं। वर्षों से होलसेल दवा मंडियों में फर्जी एवं नकली कंपनियों के बने हुए मल्टी विटामिन्स सिरप धड़ल्ले से बेचे जा रहे हैं। जिन सिरप की कीमत 5 रूपए से ₹15 तक है। जबकि इन पर प्रिंट लगभग 150 रुपए से 200 रूपए तक का होता है। ये डॉक्टर्स मरीज से पैसा ठगने के लिए मरीज को उपरोक्त नुकसान कारक सिरप इस्तेमाल करने के लिए देते हैं। जबकि उपरोक्त केमिकलयुक्त सिरप बहुत दुष्प्रभावी होता है। इन सब डॉक्टर्स को यदि विभिन्न प्रकार की दवाइयों के कॉन्बिनेशन पढ़ने को कह दिया जाए तो ये उच्चारण करने में अटक जाएंगे। यहां तक कि अधिकतर झोलाछाप डॉक्टर्स ऐसे हैं जिन्हें कक्षा 5-6 की अंग्रेजी की पुस्तक यदि पढ़ने को दे दिया जाए तो ये फ्लूएंटली पढ़ नहीं पाएंगे। ये झोलाछाप डॉक्टर्स अवैध प्रैक्टिस करने के लिए संबंधित विभाग को महीना में घुस देते हैं या कोई कंप्लेंट करता है या शासन-प्रशासन के आलाधिकारियों के निर्देशानुसार छापामारी और जांच अभियान चलता है, तब ये कथित डॉक्टर्स घुस के रूप में मोटी रकम दे देते हैं। मामला वहीं रफा दफा कर दिया जाता है।
क्षेत्र के विभिन्न लोगों ने इन अवैध फर्जी झोलाछाप डॉक्टर्स के फर्जी प्रैक्टिस पर रोक लगाने की मांग की है।
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