December 14, 2024

राष्ट्र की परम्परा

हिन्दी दैनिक-मुद्द्दे जनहित के

तो विश्वकप में विजय हुई होती

उम्मीद का दामन थाम कर ही
इंसान जीवन में आगे बढ़ता है,
कोई जीत गया कोई हार गया,
यह उतना महत्व नहीं रखता है।

हार जीत हर खेल में होती ही है,
व विजेता या उप विजेता होता है,
इसका यह मतलब नहीं होता है,
खिलाड़ी जानकर नहीं खेलता है।

कोई दस में से दस मैच जीता,
तब उसकी प्रशंसा खूब की गई,
अब जिसने ज़्यादा अच्छा खेला,
वह टीम जीतकर विजेता बन गई।

सारे भारत को विजय कामना थी,
मैंने भी शुभ कामना व्यक्त की थी,
शुभकामना और भाग्य साथ होते,
तो विश्वकप में विजय हुई होती।

आदित्य वैसे तो मीडिया वीआईपी
सिंड्रोम की बात भी करने लगा है,
खिलाड़ियों के मनोवैज्ञानिक दबाव
में आने की तमाम खबरें फैलाता है।

मैं बस मानस का प्रसंग यहाँ दूँगा,
कर्म के संग भाग्य की बात कहूँगा,
सुनहु भरत भावी प्रबल,
बिलखि कहेऊ मुनिनाथ।
हानि लाभ जीवन मरण,
यश अपयश विधि हाथ॥

कर्नल आदि शंकर मिश्र ‘आदित्य’
लखनऊ