महराजगंज के मिठौरा ब्लॉक की ग्राम पंचायत नक्शा बक्शा में विकास कार्यों की पारदर्शिता पर उठे सवाल, ग्रामीणों ने डीएम से की कार्रवाई की मांग — बोले, “अब तो न्याय चाहिए, नहीं तो करेंगे धरना!”
महराजगंज (राष्ट्र की परम्परा)।ग्राम पंचायतों में विकास के नाम पर भ्रष्टाचार का मुद्दा एक बार फिर सुर्खियों में है। महराजगंज जनपद के मिठौरा विकासखंड के ग्राम पंचायत नक्शा बक्शा में ग्राम प्रधान पर शासन द्वारा जारी धनराशि के दुरुपयोग का गंभीर आरोप लगा है। ग्रामीणों का कहना है कि ग्राम पंचायत में हुए निर्माण कार्यों में भारी अनियमितताएं की गई हैं और कई योजनाओं में फर्जी भुगतान दिखाकर सरकारी धन को हड़प लिया गया।
ग्रामीणों — रामकुमार, दशरथ पुत्र नर्वदा और अजीत निगम पुत्र विशुनदेव सहित कई लोगों ने जिलाधिकारी को एक शिकायत पत्र सौंपते हुए निष्पक्ष जांच की मांग की है। शिकायत में कहा गया है कि ग्राम सभा के प्राथमिक विद्यालय में दिव्यांग शौचालय निर्माण के लिए ₹67,896 की धनराशि 26 जुलाई 2024 को जारी की गई थी, लेकिन उसी कार्य के नाम पर 3 फरवरी 2025 को ₹89,906 का भुगतान फिर से दिखाया गया। ग्रामीणों के अनुसार, वास्तविक निर्माण पर ₹35,000 से अधिक खर्च नहीं हुआ, जबकि रिकॉर्ड में लाखों रुपये का खर्च दर्शाया गया है।
इसी प्रकार, ग्राम सभा नक्शा बक्शा में स्नानघर निर्माण के लिए ग्राम प्रधान द्वारा ₹1,39,000 और मजदूरी के नाम पर ₹20,000 का भुगतान दिखाया गया है, जबकि स्थानीय लोगों का कहना है कि पूरे कार्य की वास्तविक लागत ₹60,000 से अधिक नहीं रही।
ग्रामीणों ने यह भी आरोप लगाया कि टोला टिकुलहिंया में बरसात के मौसम में कीचड़ और जलभराव से लोगों का आना-जाना मुश्किल हो जाता है, लेकिन ग्राम प्रधान ने अब तक उस क्षेत्र में कोई सुधार कार्य नहीं कराया। जब ग्रामीणों ने इस पर सवाल उठाया, तो ग्राम प्रधान ने कथित रूप से कहा — “जो करना हो कर लो”, जिससे गांव में आक्रोश फैल गया।
ग्रामीणों ने जिलाधिकारी से मांग की है कि ग्राम पंचायत नक्शा बक्शा के सभी निर्माण कार्यों और भुगतानों की उच्चस्तरीय जांच कर दोषी प्रधान के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाए। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि जल्द जांच नहीं हुई, तो वे जिला मुख्यालय पर धरना-प्रदर्शन करने को विवश होंगे।
स्थानीय जनता का कहना है कि शासन की योजनाएं पारदर्शी विकास के लिए होती हैं, लेकिन जब धन भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाए, तो विश्वास टूटता है। ग्रामीण अब प्रशासन से न्याय की उम्मीद लगाए बैठे हैं।
