संत पचौरी जी महाराज ने छठवें दिन सुनाई चीर हरण, महारास लीला और कंस उद्धार की अद्भुत कथा
संत कबीर नगर (राष्ट्र की परम्परा)। जिला मुख्यालय के औद्योगिक क्षेत्र में चल रहे नौ दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के छठवें दिवस श्रद्धालुओं की भारी उपस्थिति और उल्लासपूर्ण माहौल में संपन्न हुआ। कथा का आयोजन भारत-तिब्बत समन्वय संघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं पूर्व प्रधानाचार्य रामकुमार सिंह के सौजन्य से किया जा रहा है।
इस अवसर पर वृंदावन धाम से पधारे राष्ट्रीय संत बाल योगी पचौरी जी महाराज ने भगवान श्रीकृष्ण की प्रमुख बाल और किशोर लीलाओं चीर हरण, महारास लीला और कंस उद्धार का विस्तारपूर्ण और भावपूर्ण वर्णन किया।
कथा व्यास संत पचौरी जी महाराज ने बताया कि चीर हरण लीला भगवान श्रीकृष्ण की अद्भुत शक्ति और न्यायप्रियता का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि जब कंस ने देवकी और नंदबाबा की सुरक्षा को चुनौती दी, तब बालकृष्ण ने साहस और विवेक से कंस के अत्याचार का अंत किया। इस लीला से यह संदेश मिलता है कि सच्चा धर्म और न्याय हमेशा विजयी होता है।
इसके बाद महाराज ने महा रास लीला का वर्णन करते हुए बताया कि यह लीला प्रेम, भक्ति और आत्मसाक्षात्कार की चरम अवस्था का प्रतीक है। ब्रजवासी के साथ रास में भाग लेकर भगवान श्रीकृष्ण ने दर्शाया कि भक्ति और प्रेम का मिलन जीवन को दिव्यता और आनंद प्रदान करता है। पचौरी जी महाराज ने कहा कि रास लीला में प्रत्येक गली, द्वार और वृंदावन का वातावरण आज भी भक्तों के मन में उसी आनंद और आस्था का संचार करता है।
अंत में महाराज ने कंस उद्धार लीला का मार्मिक और रोमांचक वर्णन किया। उन्होंने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण ने अपने शौर्य, बुद्धि और दिव्य शक्ति से दुष्ट कंस का विनाश कर ब्रजवासियों को मुक्ति दिलाई। पचौरी जी महाराज ने कहा कि यह कथा यह सिखाती है कि अहंकार और अन्याय का अंत निश्चित है और धर्म की विजय अवश्य होती है।
कथा के दौरान पूरा पंडाल “जय श्रीकृष्ण” और “कंस उद्धार की जय” के उद्घोषों से गूंज उठा। श्रद्धालु कथा में तल्लीन होकर भक्ति रस में डूबे और भाव-विभोर हो उठे।
इस अवसर पर कथा परीक्षित उर्मिला सिंह, रामकुमार सिंह, डॉ. के. के. सिंह, रमाशंकर सिंह, मुन्नी देवी, डॉ. श्याम कुमार सिंह, विधान परिषद सदस्य संतोष कुमार सिंह, एमएलसी प्रतिनिधि इंजीनियर सुधांशु सिंह, भास्कर मणि त्रिपाठी, अयांश व रेयांश सहित बड़ी संख्या में गणमान्यजन और श्रद्धालु उपस्थित रहे। कथा के अंत में भक्तों के बीच प्रसाद वितरण किया गया।