देवरिया(राष्ट्र की परम्परा)
संत विनोबा स्नातकोत्तर महाविद्यालय में आचार्य विनोबा भावे की जयंती के अवसर पर गोष्ठी की आयोजन किया गया। कार्यक्रम के प्रारम्भ में प्राचार्य और शिक्षकों कर्मचारियों द्वारा विनोबा भावे की प्रतिमा पर माल्यार्पण और पुष्पांजलि कर उनके प्रति श्रद्धा सुमन अर्पित किया गया ।गोष्ठी को संबोधित करते हुए प्राचार्य प्रो अर्जुन मिश्र ने कहा कि भूदान आंदोलन के जनक, स्वतंत्रता सेनानी, अहिंसा वादी,समाजसुधारक, आध्यात्मिक शिक्षक आचार्य विनोबा भावे भूदान यज्ञ का अभिनव प्रयोग करके 13 वर्षों तक देश के विभिन्न भागों मे पदयात्रा किया और 4.4 मिलियन एकड़ भूमि एकत्र कर 1.3 मिलियन गरीबों, बेसहारा लोगों में वितरित किया।बिहार यात्रा मे कम्युनिस्टों ने इनका विरोध किया क्योंकि उनका मानना था कि भीख मांगने से क्रांति नहीं हो सकती।जबाब मे विनोबा ने कहा हिंदुस्तान मे क्रांति कैसे होगी मैं आपसे बेहतर जानता हूं।विनोबा के अनुसार हर काम या धंधे को दैवीय शास्त्र की दृष्टि से देखना चाहिए।हर काम जो व्यक्ति करता है उसके अंदर कर्मयोग जोड़ दिया जाय तो काम करते समय कोई अपने कार्य को नीरस नहीं समझेगा।वे स्त्री मुक्ति की जगह स्त्री शक्ति शब्द का प्रयोग करते थे और इनका पूरा जीवन दलितों, बेसहारा, गरीब लोगों के उद्धार के लिए समर्पित रहा।गोष्ठी को अन्य अध्यापकों ने भी संबोधित किया और संचालन डॉ मंतोष मौर्य ने किया ।कार्यक्रम में मुख्य रूप से प्रो अरविन्द कुमार डॉ विवेक मिश्र, डॉ राजेश मिश्र, डॉ उमेश दूबे, डॉ चंद्रेश बारी,डॉ पुनीत सिंह, डॉ सुजीत कुमार,डॉ राजकुमार गुप्ता, डॉ शगुफ्ता,डॉ विद्यावती,डॉ अभिनव डॉ राजेश झुनझुनवाला डॉ अवनीश राव इत्यादि शिक्षक और कर्मचारी उपस्थित रहें।
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