महराजगंज (राष्ट्र की परम्परा)। घुघली कस्बे और आसपास के ग्रामीण इलाकों में निजी अस्पतालों की अनियमितताएँ लगातार बढ़ती जा रही हैं। दर्जनों छोटे–बड़े निजी अस्पताल बिना निर्धारित मानकों, पंजीकरण नियमों और योग्य चिकित्सकों की उपलब्धता के बिना संचालित हो रहे हैं। क्षेत्र में फैला यह अवैध मेडिकल नेटवर्क आम लोगों की स्वास्थ्य सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर रहा है।
सूत्रों के अनुसार कई निजी अस्पताल नामी डॉक्टरों के पंजीकरण पर चलते हैं, जबकि वास्तविकता में ये डॉक्टर सप्ताह में केवल एक–दो बार ही अस्पताल पहुंचते हैं। ऑपरेशन जैसी संवेदनशील प्रक्रियाओं के बाद मरीजों की देखभाल अयोग्य और अप्रशिक्षित स्टाफ के भरोसे छोड़ दी जाती है। इससे गलत निदान, लापरवाह उपचार और मनमानी वसूली जैसे मामले लगातार सामने आ रहे हैं।
सबसे चिंताजनक मुद्दा यह है कि घुघली क्षेत्र के किसी भी निजी अस्पताल में मान्यता प्राप्त एक्स-रे या अल्ट्रासाउंड विशेषज्ञ मौजूद नहीं है। इसके बावजूद अवैध रूप से जांचें कराई जा रही हैं, जो नियमों का स्पष्ट उल्लंघन है।
हाल ही में भुवनी रेलवे क्रॉसिंग के पास एक निजी अस्पताल में हुई गंभीर लापरवाही ने पूरे क्षेत्र में रोष बढ़ा दिया। मरीज की बिगड़ती हालत पर उसे बड़े अस्पताल में रेफर किया गया, जहां दूसरी चिकित्सा प्रक्रिया के दौरान अस्पताल की गंभीर चूक उजागर हुई। इस घटना ने निजी अस्पतालों की कार्यशैली पर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं।
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कप्तानगंज रोड, सिसवा रोड, ढोढिला चौराहा और बैकुण्ठी रोड सहित कई क्षेत्रों में स्थापित निजी अस्पताल मानकों की अनदेखी कर खुलेआम संचालन जारी रखे हुए हैं। नेबुआ–नौरंगिया रोड स्थित एक हड्डी रोग अस्पताल पर भी आरोप है कि उसका संचालन गैर-योग्य व्यक्ति द्वारा किया जा रहा है।
स्थानीय लोगों का आरोप है कि स्वास्थ्य विभाग की उदासीनता के कारण अवैध अस्पतालों पर कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं हो रही। इससे लोगों में गहरा आक्रोश है।
इस संबंध में मुख्य चिकित्साधिकारी श्रीकांत शुक्ल ने बताया कि मामला बेहद गंभीर है। जल्द ही एक टीम गठित कर घुघली क्षेत्र में संचालित सभी निजी अस्पतालों की जांच कर कठोर कार्रवाई की जाएगी। अब देखना यह होगा कि विभागीय कार्रवाई वास्तविक रूप में सामने आती है या नहीं।
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