जहाँ देश के सैनिक रहते हैं
अपनी सेवा निवृत्ति के बाद,
गड्ढों वाली ये सड़कें, सीवर,
पानी की नहीं है कोई बात।

स्मार्ट शहर लखनऊ हमारा,
इसका अब है यही विकास,
चालीस साल की कालोनी,
तब से किये हैं लाख प्रयास।

कभी लखनऊ विकास प्राधिकरण
और कभी आवास विकास परिषद
और नगरनिगम भी हैं धौंस जमाते,
व्यर्थ हैं प्रयास सब,श्रेय इनको जाते।

नेता मंत्री भी आते जाते हैं,
वोट लेकर भुला भी जाते हैं,
जनता जनार्दन सब जानती है,
जनार्दनों को भी पहचानती है।

फिर भी बस हम सब बेबस हैं,
नहीं कहीं कुछ कर सकते हैं,
अनुशासित सैनिक के नाते हम
धरना प्रदर्शन भी न कर सकते हैं।

सैनिक नगर की छोटी छोटी सड़कें,
शहर वासियों ने हाई वे बना रखी हैं,
कालोनी के द्वार तोड़कर अस्सी सौ
की गति से कारें बाइकें चलती हैं।

बच्चे बूढ़े व स्त्रियाँ भी घर से बाहर
निकलने में अब सब डरते रहते हैं,
गेट द्वार पर खड़े गार्ड भी अक्सर
बाहर वालों के द्वारा ही पिटते हैं।

सबका साथ, सबका विकास इस
कालोनी को आदित्य नही मिला है,
चोरी, डकैती व चेन झपट्टा होते
रहते हैं कोई नहीं सुनने वाला है।

डा. कर्नल आदि शंकर मिश्र
‘आदित्य’