July 6, 2025

राष्ट्र की परम्परा

हिन्दी दैनिक-मुद्द्दे जनहित के

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुकूल स्कूलों को विकसित और उन्नत कर शिक्षा नीति की पूरी भावना समाहित करना समय की मांग

राष्ट्र की परम्परा का हर देश विज्ञान स्वास्थ्य शिक्षा प्रौद्योगिकी, यातायत इत्यादि हर क्षेत्र में नीतियां रणनीतियां बनाकर अपने देश को मजबूत, समृद्ध व विकसित करना चाहता है, जो आज के प्रौद्योगिकी युग में सफलता की कुंजी है। परंतु मेरा मानना है कि नीतियों रणनीतियों को बनाने से अधिक महत्वपूर्ण उनका क्रियान्वयन करना होता है ताकि धरातल पर उसके लाभों को रेखांकित किया जा सके, जिसपर हमें चिंतन करना जरूरी है। साथियों बात अगर हम भारत की करें तो पिछले कुछ वर्षों से हम मीडिया के माध्यम से देख व सुन रहे हैं कि न केवल अनेक नीतियां रणनीतियां हर क्षेत्र में बनाई जा रही है बल्कि स्वतंत्रता के 75 वें अमृत महोत्सव के उपलक्ष में करीब-करीब हर केंद्रीय मंत्रालय के स्तरपर उनका क्रियान्वयन करना, जन जागरणअभियान, डिबेट चलाकर आगे बढ़ाने का प्रयत्न किया जा रहा है जो काबिले तारीफ है जिसको विजन 2047 और 5 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था के आयामों से जोड़कर सोने पे सुहागा बनाया जा रहा है ताकि हर नागरिक को अपनां भविष्य सुरक्षित नजर आ सके और देश की उन्नति पर गर्व हो सके। साथियों बात अगर हम शिक्षा क्षेत्र की करें तो राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 बनाकर लागू की गई जिसकी शुरूआत एक बहु विषयक दृष्टिकोण आपनाकर भारत की शिक्षा प्रणाली का रूपांतरण करने के लिए की गई थी। शिक्षा मंत्रालय की एक आंतरिक प्रगति रिपोर्ट के अनुसार, 29 जुलाई, 2022 को राष्ट्रीय शिक्षा नीति के लागू होने के दो वर्ष पूरे होने के साथ, अबतक 28 राज्यों और 6 केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) में उच्च शिक्षा संस्थानों (एचईआई) में 2,774 अभिनव परिषदों की स्थापना की जा चुकी है। रिपोर्ट के अनुसार, उच्च शिक्षा में 2,000 संस्थानों को कौशल हब के रूप में परिवर्तित किया जा रहा है और इनमें से 700 संस्थान कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय के सामान्य पोर्टल पर अपना पंजीकरण करा चुके हैं। साथियों परंतु हमें इसे तेजी से क्रियान्वयन करने के लिए समग्र कदम उठाने की खास जरूरत है ताकि आयामों को शीघ्रता से प्राप्त किया जा सके मेरा मानना है कि शिक्षा क्षेत्र से जुड़े बुद्धिजीवियों,शिक्षकों,अध्यापकों, प्राध्यापकों की ऐसी सोच होगी जो अब पूरी होने जा रही है क्योंकि 5 सितंबर 2022 को माननीय पीएम ने पीएम – श्री योजना की घोषणा कर दी है साथियों बात अगर हम पीएम – श्री योजना की करें तो, पीआईबी के अनुसार शिक्षक दिवस के मौके पर पीएम ने बड़ा ऐलान किया। उन्होंने ट्वीट कर जानकारी दी कि प्रधानमंत्री स्कूल्स फॉर राइजिंग इंडिया (पीएम-एसएचआरआई) योजना के तहत देशभर के 14,500 स्कूलों का कायाकल्प किया जाएगा। इन स्कूलों को मॉडल स्कूल के रूप में विकसित किया जाएगा। पीएम ने लिखा,पीएम- श्री स्कूलों में शिक्षा प्रदान करने का एक आधुनिक, परिवर्तनकारी और समग्र तरीका होगा।नवीनतम तकनीक, स्मार्ट क्लासरूम, खेल और अन्य सहित आधुनिक इंफ्रा पर ध्यान दिया जाएगा। राष्ट्रीय शिक्षा नीति ने हाल के वर्षों में शिक्षा क्षेत्र को बदल दिया है। मुझे यकीन है कि पीएम-श्री स्कूल एनईपी की भावना से पूरे भारत में लाखों छात्रों को लाभान्वित करेंगे। ये मॉडल स्कूल बनेंगे जो  एनईपी की पूरी भावना को समाहित करेंगे। साथियों बात अगर हम पीएम श्री योजना को जानने की करें तो, केंद्र सरकार की इस योजना के तहत पूरे भारत में प्राइवेट स्कूल से अच्छे सरकारी स्कूल खोले जाएंगे। इन स्कूलों का नाम पीएम श्री स्कूल होगा। वर्तमान में केंद्रीय विद्यालय संगठन द्वारा पूरे भारत में स्कूलों का संचालन किया जा रहा है, जबकि पीएम श्री स्कूल, भारत में संचालित केंद्रीय विद्यालयों से अलग होंगे। एक तरह से पीएम श्री स्कूल राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 की प्रयोगशाला होंगे। इन स्कूलों को भविष्य के लिए छात्रों को तैयार करने के लिए पूरी तरह से सुसज्जित किया जाएगा।साथियों राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुसार, आधारभूत चरण में 3 साल या प्रीस्कूल या आंगनवाड़ी शिक्षा शामिल होगी और उसके बाद दो साल की प्राथमिक कक्षाएं (कक्षा 1 और 2) शामिल होंगी।यह चरण खेल-आधारित या गतिविधि आधारित विधियों में शिक्षण और भाषा कौशल के विकास पर केंद्रित होगा।साथियों बात अगर हम केंद्रीय प्रौद्योगिकी मंत्री द्वारा शिक्षा शिखर सम्मेलन 2022 को संबोधन की करें तो पीआईबी के अनुसार, उन्होंने संबोधित करते हुए कहा कि स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद से लेकर अब तक एनईपी भारत का सबसे बड़ा पथ-प्रदर्शक सुधार है क्योंकि नई शिक्षा नीति न केवल प्रगतिशील और दूरदर्शी है, बल्कि 21वीं सदी के भारत की उभरती जरूरतों और आवश्यकताओं के अनुरूप भी है। उन्‍होंने कहा कि इसमें केवल डिग्री पर ध्यान केंद्रित नहीं किया गया है बल्कि छात्रों की आंतरिक प्रतिभा, ज्ञान,कौशल और योग्यता को भी उचित प्राथमिकता दी गई है। उन्होंने कहा कि यह समय समय पर युवा विद्वानों और छात्रों को उनकी व्यक्तिगत योग्यता तथा परिस्थितियों के अनुसार अपने विकल्पों का निर्धारण करने के लिए पर्याप्त अवसर प्रदान करता है। साथियों उन्होंने एनईपी-2020 के गुणों पर चर्चा करते हुए कहा कि मल्टीपल एंट्री/एग्जिट विकल्पों के प्रावधान का पोषण किया जाना चाहिए क्योंकि इस अकादमिक लचीलेपन द्वारा छात्रों को अलग-अलग समय में अपने कैरियर के विभिन्न अवसरों का लाभ उठाने में सकारात्मक रूप से मदद मिलेगी, जो उनके द्वारा समय-समय पर प्राप्त आंतरिक शिक्षा और अंतर्निहित योग्यता पर निर्भर करेगा। उन्‍होंने यह भी कहा कि भविष्य में शिक्षकों के लिए भी इस एंट्री/एग्जिट विकल्प की व्यवहार्यता अथवा उपयुक्तता पर विचार किया जा सकता है, जिससे उन्हें भी अपने कैरियर में लचीलापन मिल सके और विकास का अवसर प्राप्त हो सके जैसा कि कुछ पश्चिमी देशों और अमरीका में प्रचलित है। उन्‍होंने कहा कि यह नीति रचनात्मक और बहु-विषयक पाठ्यक्रम पर बल देती है, जिसमें विज्ञान एवं गणित के अलावा मानविकी, भाषा, संस्कृति, खेल और तंदरूस्ती, स्वास्थ्य एवं कल्याण, कला और शिल्प शामिल हैं। यह स्वामी विवेकानंद की मानव – निर्माण शिक्षा, श्री अरबिंदो की एकात्म शिक्षा और महात्मा गांधी की बुनियादी शिक्षा के वास्तविक सार को चित्रित करती है। अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि पीएम- श्री योजना महत्वपूर्ण है।राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुकूल स्कूलों को विकसित और उन्नत कर शिक्षा नीति की पूरी भावना समाहित करना समय की मांग है।शिक्षा प्रदान करने में नौकरी पाने नहीं देने की परिवर्तनकारी सोच, समग्र तरीका और एनईपी 2020 को तेजी से क्रियान्वयन करना महत्वपूर्ण है। 

गोंदिया,महाराष्ट्र