तिब्बत की आज़ादी ही मानवता की सुरक्षा : प्रो. मनोज दीक्षित
जोधपुर/राजस्थान (राष्ट्र की परम्परा डेस्क)। राजस्थान उच्च न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीश डॉ. पुष्पेंद्र सिंह भाटी ने कहा कि भारत और तिब्बत की संस्कृतियों का समन्वय विश्व को शांति, करुणा और मानवता का अनुपम संदेश देता है। उन्होंने कहा कि इन संस्कृतियों से अधिक विशिष्ट और समरस संस्कृति कोई और नहीं हो सकती, इसलिए इन्हें संरक्षित करना हम सबका दायित्व है।
डॉ. भाटी शनिवार को सीवांची भवन में भारत-तिब्बत समन्वय संघ (बीटीएसएस) की दो दिवसीय राष्ट्रीय बैठक “जप तप 2025” के उद्घाटन सत्र में बोल रहे थे। मुख्य अतिथि के रूप में उन्होंने तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा के 90वें जन्मवर्ष पर घेवर केक काटकर शुभकामनाएँ दीं और उपस्थित तिब्बती प्रतिनिधियों को बधाई दी।

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो. मनोज दीक्षित ने कहा कि “तिब्बत की स्वतंत्रता का अर्थ केवल एक भूभाग की आज़ादी नहीं, बल्कि दुनिया की तीन-चौथाई आबादी की सुरक्षा है।” उन्होंने कहा कि तिब्बत के प्राकृतिक संसाधनों से नौ देश सीधे लाभान्वित होते हैं, जिन पर वर्तमान में चीन का नियंत्रण है। ऐसे में तिब्बत की स्वतंत्रता के लिए ठोस नरेटिव तैयार कर कार्य को गति देना आवश्यक है।
बैठक की अध्यक्षता कर रहे विधायक अतुल भंसाली ने कहा कि समाज की भावना भी यही है कि तिब्बत चीन के नियंत्रण से मुक्त हो, जिससे कैलाश-मानसरोवर यात्रा भी सभी के लिए सुलभ हो सके। उन्होंने जोधपुर के तिब्बती मार्केट को सहयोग देने का आश्वासन भी दिया।
उद्घाटन सत्र में केंद्रीय संयोजक हेमेंद्र तोमर, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एन.के. सूद, राष्ट्रीय महामंत्री राजो मालवीय, लेफ्टिनेंट कर्नल श्रीनिवास राव, राष्ट्रीय मंत्री विंग कमांडर के.के. शाह, प्रांत अध्यक्ष एकलव्य भंसाली और राष्ट्रीय सह संयोजक (प्रचार प्रभाग) हेमंत जैन सहित देशभर से लगभग 135 प्रतिनिधि उपस्थित रहे।