उषा अर्घ्य के साथ हर घर में सुख, शांति और समृद्धि की कामना के साथ सम्पन्न हुआ पर्व
संत कबीर नगर (राष्ट्र की परम्परा)। चार दिवसीय सूर्योपासना का महापर्व छठ पूजा मंगलवार की भोर में उषा अर्घ्य के साथ पूर्ण श्रद्धा और आस्था के वातावरण में सम्पन्न हुआ। जिले के विभिन्न सरोवरों, तालाबों, नदियों और कृत्रिम जलाशयों पर श्रद्धालुओं की अपार भीड़ उमड़ी। व्रतियों ने स्नान-ध्यान के पश्चात उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित कर परिवार, समाज और राष्ट्र की समृद्धि की मंगलकामना की।
भोर की पहली किरण के साथ जब सूर्य देव आकाश में प्रकट हुए, तो घाटों पर “जय छठी मईया” और “जय सूर्य नारायण” के जयघोष गूंज उठे। महिलाएं पारंपरिक वेशभूषा में गीत गाती हुईं, सिर पर डाला सजाए, बड़ी श्रद्धा से पूजा-अर्चना में लीन रहीं। इसी दौरान घाटों पर गूंज उठा लोकगीत,
केरवा के पात पा ऊगा हो सुरूज देव…”
जिसने वातावरण को भावविभोर कर दिया। श्रद्धा और लोकसंस्कृति के इस अद्भुत संगम ने पूरे माहौल को आध्यात्मिक और उल्लासपूर्ण बना दिया।
पूर्वांचल में इस अवसर पर भोर से ही रिमझिम वर्षा शुरू हो गई थी, जिसने श्रद्धा की इस सुबह को और भी पवित्र बना दिया। व्रती डॉ. सोनी सिंह ने अपने उद्गार व्यक्त करते हुए कहा,
“भक्ति से भरी सुबहें, आस्था से सजे संध्या घाट… छठी मइया के चरणों में, सबके मन की हो हर बात।”
पूरे पर्व के दौरान व्रतियों ने नहाय-खाय, खरना, संध्या अर्घ्य और उषा अर्घ्य सहित सभी अनुष्ठान पूरी विधि-विधान और भक्ति भाव से सम्पन्न किए। प्रशासनिक स्तर पर सुरक्षा और साफ-सफाई की पुख्ता व्यवस्था की गई थी। नगर व ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के बावजूद माहौल अनुशासित और शांतिपूर्ण रहा।
भगवान भास्कर और छठी मईया से व्रतियों ने यही प्रार्थना की कि हर घर में सुख, शांति और समृद्धि का उजाला सदा बना रहे। आस्था और लोक परंपरा से ओत-प्रोत पर्व ने एक बार फिर समाज में एकता, समरसता और पारिवारिक सद्भाव का संदेश दिया।
