बौद्ध संगोष्ठी और कविता पाठ में बुद्ध, नदियाँ और समाज पर चर्चा
गोरखपुर (राष्ट्र की परम्परा)। रोहिणी नदी के तट पर चरथ भिक्खवे-दो यात्रा का समापन बौद्ध संग्रहालय में राष्ट्रीय संगोष्ठी और कविता पाठ के साथ हुआ। कार्यक्रम का आयोजन अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान, साखी शोधशाला और राजकीय बौद्ध संग्रहालय गोरखपुर ने संयुक्त रूप से किया।
पहले सत्र में “नदी, बुद्ध और हमारा समाज” पर राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित हुई। निदेशक राकेश सिंह ने यात्रा को बुद्ध के विचारों को समाज में ले जाने का अनूठा प्रयास बताया। प्रो. सदानंद शाही ने कहा कि यात्रा का उद्देश्य नदियों के साथ बुद्ध के संबंध, देश के सांस्कृतिक भूगोल को समझना और भारत-नेपाल मैत्री को मजबूत करना है।
डॉ. शीराज़ वजीह ने कहा कि नदी सिर्फ़ जलधारा नहीं बल्कि एक समग्र प्राकृतिक तंत्र है और इसका सामुदायिक संबंध मजबूत होना जरूरी है। प्रो. रामसुधार सिंह ने जातक कथाओं के माध्यम से रोहिणी और अन्य नदियों का विवरण साझा किया। कवि पंकज चतुर्वेदी ने कहा कि हिंदी कविता को बुद्ध के संदर्भ में नए आलोक में प्रस्तुत करना चाहिए और समाज में सत्य, अहिंसा, करुणा और विश्वशांति जैसे मूल्यों को स्थापित करना अभी भी चुनौती है।

कार्यक्रम के दूसरे सत्र में पंकज चतुर्वेदी, विहाग वैभव, अनंत मिश्र, देवेन्द्र आर्य, रघुवंश मणि, जयप्रकाश नायक सहित अनेक प्रतिष्ठित कवियों ने कविता पाठ किया। अतिथियों का स्वागत संग्रहालय के उप निदेशक डॉ यशवन्त सिंह राठौर ने किया।
संगोष्ठी में यात्रियों का सम्मान भी किया गया और भविष्य में बुद्ध की धरती पर इसी प्रकार के आयोजन जारी रखने पर जोर दिया गया।