विक्रय-विलेखों को तैयार करते समय दस्तावेज लेखकों तथा रजिस्ट्रीकरण के समय रजिस्ट्रीकर्ता अधिकारियों द्वारा विक्रेता एवं क्रेता के हितों के दृष्टिगत जानकारी से सम्बन्धित दिशा-निर्देशों का कठोरता से अनुपालन किया जाए: डीएम
संत कबीर नगर (राष्ट्र की परम्परा)। जिलाधिकारी महेन्द्र सिंह तंवर के निर्देश के क्रम में सहायक महानिरीक्षक निबंधन देवेंद्र कुमार ने जनपद के समस्त अचल सम्पत्ति के क्रेता एवं विक्रेताओं को उनके हितों के दृष्टिगत सूचनार्थ तथा जागरूक रहने के संबंध में अवगत कराया है कि जमीनों, प्लाटों, भवनों की रजिस्ट्री हो जाने के बाद कुछ मामलों में जानकारी के आभाव में क्रेताओं-विक्रेताओं को तरह-तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
उक्त के संबंध में क्रेता-विक्रेता की जानकारी हेतु उन्होंने महत्वपूर्ण बिन्दुओं, दिशानिर्देशों की जानकारी देते हुए बताया कि कोई भी दस्तावेज लेखक विक्रय-विलेख तैयार करते समय अगर कोई विक्रेता नशे में है अथवा विपक्षी के बीच कोई झगड़ा या विवाद की स्थिति उत्पन्न हो गयी हो, तो दस्तावेज लेखन का कार्य रोक कर सक्षम अधिकारी को सूचित करेगा। विक्रय-विलेख में प्रदर्शित प्रतिफल से सम्बन्धित साक्ष्य जैसे चेक, आरटीजीएस, यूटीआर नम्बर, ड्राफ्ट का विवरण सहित स्पष्ट उल्लेख लेखपत्र में किया जायेगा तथा रजिस्ट्रकरण के समय साक्ष्य की प्रमाणित प्रति रजिस्ट्रीकर्ता अधिकारी के समक्ष प्रस्तुत की जायेगी। साथ ही क्रेता-विक्रेता एवं गवाहान के वैध परिचय-पत्र व मोबाइल नम्बर आदि का उल्लेख भी विलेख में दर्ज किया जायेगा और पहचान पत्र की मूल, छायाप्रति रजिस्ट्री कार्यालय को उपलब्ध करायी जायेगी। दस्तावेज लेखक द्वारा विक्रय-विलेख में क्रेता और विक्रेता की जाति का स्पष्ट उल्लेख किया जायेगा। क्रेता एवं विक्रेता की अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति होने की स्थिति में सक्षम अधिकारी का प्रमाण पत्र लेखपत्र के साथ प्रस्तुत किया जायेगा। विक्रेता के नाबालिंग होने की स्थिति में संरक्षक की हैसियत से बैनामा करने वाले के पास वैध अधिकार पत्र होना आवश्यक है। कृषि भूमि से सम्बन्धित विक्रय-विलेख में विक्रेता का अंश और उसमें से विक्रीत भाग का स्पष्ट उल्लेख होना चाहिए। क्रेता बैनामा के समय ही बैनामा के अंश का शत-प्रतिशत रकबे का भौतिक कब्जा प्राप्त करना सुनिश्चित करेंगे।
जिस लइसेन्सधारी दस्तावेज लेखक द्वारा उक्त निर्देशों का सम्यक अनुपालन नहीं किया जायेगा, तो एक से अधिक बार गलती पाये जाने की स्थिति में उसकी अनुज्ञप्ति निरस्त की जायेगी। किसी लेखपत्र से सम्बन्धित पक्षों एवं गवाहान तथा लेखपत्र तैयार करने वाले दस्तावेज लेखक, वकील के अलावा अनाधिकृत व्यक्तियों, दलालों का निबन्धन कार्यालय में प्रवेश वर्जित रहेगा। इसी प्रकार करापवंचन में शामिल पक्षकारों के साथ दस्तावेज लेखक, लेखपत्र को तैयार करने वाले विधि व्यावसायी के विरूद्ध कठोर दण्डात्मक कार्यवाही की जायेगी।
जिलाधिकारी द्वारा रजिस्ट्रीकर्ता अधिकारियों द्वारा विक्रय-विलेखों के रजिस्ट्रीकरण के सम्बन्ध में दस्तावेज लेखकों से
उक्त दिशा-निर्देशों का कड़ाई से अनुपालन किये जाने के निर्देश दिये गये है। यह भी निर्देशित किया गया है कि जहां किसी विक्रय-विलेख में प्रतिफल और बाजारी मूल्य के बीच भारी अन्तर हो अर्थात बाजारी मूल्य की तुलना में प्रतिफल बहुत कम हो, वहां विक्रेता से सघन पूछताछ कर स्वयं एवं विक्रेता के संतुष्ट होने के बाद ही रजिस्ट्रीकरण कार्यवाही प्रारम्भ की जायेगी। किसी विक्रेता के नशे में होने, कम चतुर होने, अनपढ होने, पत्नी एवं बच्चो की आपत्ति होने पर विक्रय-विलेख की रजिस्ट्री में कोई जल्दबाजी न करते हुए जहां तक सम्भव हो उसके परिवार के किसी पढ़े लिखे समझदार व्यक्ति, पत्नी व बच्चों की गवाही कराकर रजिस्ट्री की कार्यवाही प्रारम्भ की जायेगी। किसी विवाद की स्थिति में या विक्रेता पक्ष को धमकावे, बहकावे या अनुचित दबाव से मुक्त कराकर पूर्ण होशो हवास एवं स्वस्थ मस्तिष्क की दशा में निष्पादन स्वीकार करने की स्थिति में लेखपत्र को रजिस्ट्रीकृत किया जायेगा। रजिस्ट्रीकर्ता अधिकारी द्वारा उक्त दिशा निर्देशों का अनुपालन कराते समय यदि किसी पक्ष द्वारा जोर जबरदस्ती या अनुचित दबाव बनाया जाता है तो रजिस्ट्रीकर्ता अधिकारी लेखपत्र ग्रहण किये जाने से इनकारी के सम्बन्ध में आपत्ति पर्ची के साथ लेखपत्र के दावेदार को लेखपत्र वापस कर देगा तथा किसी अप्रिय घटना होने की सम्भावना में उच्च प्रशासनिक अधिकारियों को मोबाइल फोन पर सूचित करने हेतु जिलाधिकारी द्वारा निर्देशित किया गया है।
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