लखनऊ(राष्ट्र की परम्परा)
दक्षिण कश्मीर के अमशीपोरा गांव में जुलाई 2020 में हुए बहुचर्चित फ़र्ज़ी एनकाउंटर के तीन दोषियों को मिली उम्र क़ैद की सज़ा को, आर्म्ड फोर्स ट्रिब्यूनल द्वारा रद्द कर दिए जाने को उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष शाहनवाज़ आलम ने न्यायतंत्र की ख़ुद न्यायपालिका द्वारा हत्या बताया है। उन्होंने यह भी कहा है कि ऐसे फैसलों से कश्मीर में फ़र्ज़ी एनकाउंटरों की घटनाएं और बढ़ेंगी और कश्मीर के लोग हमसे और दूर होंगे।कांग्रेस मुख्यालय से जारी बयान में शाहनवाज़ आलम ने कहा कि इस मामले में मार्च 2023 में ही सैन्य अदालत ने इस फ़र्ज़ी एनकाउंटर में इमतियाज़ अहमद, अबरार अहमद और मोहम्मद अबरार को आतंकी बताकर मारने के अपराध में कैप्टन भूपेंद्र सिंह को उम्र क़ैद की सज़ा दी थी। अब 8 महीने बाद ही उसकी सज़ा को निलंबित कर दिया जाना, सैन्य न्यायिक व्यवस्था की विश्वसनीयता पर संदेह उत्पन्न करता है।शाहनवाज़ आलम ने कहा कि इस मामले में सरकार की तरफ से तीनों पीड़ित परिवारों को दस-दस लाख रुपए मुआवज़ा और सरकारी नौकरी भी दी गयी थी। यहाँ तक कि ख़ुद राज्यपाल मनोज सिन्हा भी पीड़ित परिवारों के घर जाकर न सिर्फ़ उनसे मिले थे बल्कि पीएम मोदी का संदेश भी दिया था कि वो पीड़ित परिवार के साथ खड़े हैं।
शाहनवाज़ आलम ने कहा कि अगर सैन्य अदालत ही हत्यारों को सज़ा के बावजूद आज़ाद छोड़ देगी तो इससे सेना के अंदर मौजूद अपराधी प्रवृत्ति के अधिकारियों का मनोबल बढ़ेगा, और फ़र्ज़ी एनकाउंटर की घटनाएं भी बढ़ेंगी। जिससे कश्मीर के हालात और खराब होंगे जो 370 के हटने के बाद पहले से ही खराब चल रहे है।
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