पटना (राष्ट्र की परम्परा डेस्क)बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले राज्य की राजनीति में बड़ा भूचाल आ गया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल (यूनाइटेड) को जबरदस्त झटका लगा है, क्योंकि पूर्णिया के पूर्व सांसद संतोष कुशवाहा ने राष्ट्रीय जनता दल (राजद) का दामन थामने की तैयारी कर ली है। यह कदम न केवल पूर्णिया बल्कि सीमांचल क्षेत्र की राजनीतिक तस्वीर को भी बदल सकता है।
सूत्रों के मुताबिक, आज राजद कार्यालय में एक भव्य औपचारिक प्रवेश समारोह आयोजित किया जाएगा, जिसमें पार्टी के वरिष्ठ नेता संतोष कुशवाहा और अन्य नेताओं का स्वागत करेंगे। बताया जा रहा है कि कुशवाहा के साथ बांका से जदयू सांसद गिरधारी यादव के पुत्र चाणक्य प्रकाश रंजन और जहानाबाद के पूर्व सांसद जगदीश शर्मा के पुत्र राहुल शर्मा भी राजद की सदस्यता ग्रहण करेंगे।
संतोष कुशवाहा, जो दो बार सांसद रह चुके हैं, पूर्णिया क्षेत्र में जदयू का मजबूत चेहरा माने जाते हैं। उनके राजद में शामिल होने से पार्टी को निचले स्तर पर संगठनात्मक मजबूती और ओबीसी वोट बैंक में नई बढ़त मिलने की उम्मीद जताई जा रही है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि राजद इस समय अनुभवी और प्रभावशाली नेताओं को साथ जोड़कर अपने संगठन को मजबूत करने की रणनीति पर काम कर रही है।
वहीं, राहुल शर्मा पहले विधायक रह चुके हैं और अपने पारिवारिक राजनीतिक प्रभाव के कारण स्थानीय स्तर पर अच्छी पकड़ रखते हैं। चाणक्य प्रकाश रंजन की एंट्री से राजद को बांका क्षेत्र में भी नई ऊर्जा मिल सकती है।
इस बीच, जदयू ने आगामी चुनावों के लिए सीट बंटवारे की जिम्मेदारी भाजपा को सौंप दी है। भाजपा अब लोजपा (रामविलास), हम और रालोजद के साथ सीटों पर सहमति बनाने में जुटी है। हालांकि जदयू खेमे में बड़े नेताओं के दलबदल से पार्टी के अंदरूनी समीकरणों में हलचल तेज हो गई है।
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि बिहार की सियासत अब “नए समीकरण बनाम पुरानी निष्ठा” के दौर में प्रवेश कर चुकी है — और इस बार की जंग केवल सीटों की नहीं, बल्कि साख की भी होगी।
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