योग नहीं है केवल एक दिन का आचार।
चलो इस विधि को बनाए जीवन का व्यवहार।।
प्रातः जगकर, सूर्य नमस्कार से करें इसे स्वीकार।
स्वच्छता और नियम पालन का मन में हो विचार।।
नियमित हो दिनचर्या, सात्विक हो आहार।
धूम्रपान से दूर रहें, प्रकृति संग रहना बने जीवन का आधार।।
सादा भोजन, पर्याप्त पानी का सेवन, रखेगा रोगों से दूर।
ईश्वर भक्ति और सुरक्षित दिनचर्या
की अवधारणा, है जीवन का नूर।।
आओ प्रण लें, मानेंगे अपने पूर्वजों की बात और सिद्धांत।
अपनी भावी संतति को नैसर्गिक
नियमों से जोड़ें, जो आवश्यक है नितांत।।
सरोज बाला सोनी
कवियत्री
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