
देवरिया (राष्ट्र की परम्परा)
अन्तर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस के अवसर पर सन्त विनोवा पी.जी. कॉलेज देवरिया के विधि विभाग द्बारा संगोष्ठी का आयोजन किया गया ।कार्यक्रम में विधि विभाग के छात्रों द्वारा मानवाधिकार के पक्ष एवं विपक्ष में चर्चा हुई ।
कार्यक्रम में महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. अर्जुन मिश्रा ने कहा कि मानवाधिकार व्यक्ति को प्राप्त वे अधिकार हैं जो उसे मनुष्य होने के नाते स्वत: प्राप्त हैं। मानवाधिकार शब्द नया है लेकिन इसका विचार अति प्राचीन है। पाश्चात्य देशों में मानवाधिकार शब्द राज्यसत्ता के विरुद्ध संघर्ष का प्रतीक है लेकिन भारत में इसे कर्तव्य के रुप में,धर्म के रुप में प्राचीन काल से ही प्रदान किया गया है।मानव अधिकारों की सार्वभौम घोषणा के बहुत पहले भारतीय धर्मशास्त्रों मे स्वतंत्रता, समानता का उल्लेख है। विधि विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅ के के शाही ने कहा कि यूडीएचआर ने पहली बार पूरी मानवता के अविभाज्य और अविच्छेद्य अधिकारों की स्थापना की।वैसे भारत मे पहले ही मूल अधिकारों का संरक्षण देकर मानवाधिकार को संरक्षित किया गया है हम सभी मानव जाति पर जिम्मेदारी है कि मानवाधिकार को सुरक्षित बनाये रखे ।डॉ. विवेक मिश्र ने कहा कि विश्व युद्ध की विनाशलीला और उसके आगामी सम्भावनाओ से बचने के लिए विश्व मानवाधिकार दिवस आस्तित्व मे आया।वैश्विक स्तर पर कई ऐसे देश है जो अपने नागरिकों के अधिकारों का उल्लंघन कर रहे है ऐसे देश का वैश्विक प्रतिकार होना चाहिए।
अजय शर्मा , डॉ. विद्यावती, डॉ. राजकुमार गुप्त,खालिद ,कार्तिकेय, श्यामजी, रजनीश, प्रियंका ने मुख्य रूप से चर्चा में प्रतिभाग किया ।
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