कुल आवेदनों में 40 फीसदी से अधिक लंबित, विभाग ने दिए सख्त निर्देश
बलिया (राष्ट्र की परम्परा न्यूज) सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग की छात्रवृत्ति योजना के अंतर्गत बलिया जिले में अनुसूचित जाति (एससी) और सामान्य वर्ग के छात्रों के प्री-मैट्रिक तथा पोस्ट-मैट्रिक (11-12) आवेदन की प्रक्रिया धीमी पड़ गई है। कॉलेजों द्वारा अंतिम सबमिशन रिपोर्ट से स्पष्ट है कि बड़ी संख्या में आवेदन कॉलेज स्तर पर ही अटके हुए हैं। इससे हजारों छात्रों की छात्रवृत्ति समय पर मिलने की संभावना कमजोर हो गई है। जिले में एससी वर्ग के तहत प्री-मैट्रिक श्रेणी में कुल 7382 आवेदन प्राप्त हुए, जिनमें से 5050 आवेदन फॉरवर्ड किए गए हैं, जबकि 3310 आवेदन लंबित हैं — यानी लगभग 44.8 प्रतिशत आवेदन कॉलेज स्तर पर रुके हुए हैं। पोस्ट-मैट्रिक (11-12) में 5781 आवेदन आए, जिनमें 3716 आवेदन फॉरवर्ड और 2434 आवेदन लंबित हैं — यानी करीब 42 प्रतिशत आवेदन अधूरे हैं। दोनों स्तरों को मिलाकर एससी श्रेणी के 13,163 आवेदन में से 5744 आवेदन (43.6%) कॉलेजों में ही फंसे हुए हैं। वहीं सामान्य वर्ग के प्री-मैट्रिक में 3093 आवेदन आए, जिनमें से 1901 आवेदन फाइनल सबमिट, जबकि 1109 आवेदन लंबित हैं — यानी 35.8 प्रतिशत आवेदन रुके हुए हैं। पोस्ट-मैट्रिक में 3059 आवेदन में से 1781 फॉरवर्ड और 1001 लंबित हैं — यानी 32.7 प्रतिशत आवेदन अभी भी अधूरे हैं। दोनों वर्गों को मिलाकर बलिया जिले में कुल 19,315 आवेदन प्राप्त हुए हैं, जिनमें से 13,247 आवेदन फाइनल सबमिट, जबकि 7800 आवेदन कॉलेज स्तर पर अटके हैं। इसका अर्थ है कि करीब 40.4 प्रतिशत आवेदन प्रक्रिया में लंबित हैं। जिला समाज कल्याण अधिकारी रमेश कुमार ने बताया कि कई कॉलेजों में सत्यापन और फॉरवर्डिंग की प्रक्रिया धीमी है। ऐसे कॉलेजों को नोटिस जारी किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि शासन स्तर से सख्त निर्देश हैं कि सभी फ्रेश और रिन्यूअल फॉर्म निर्धारित समयसीमा में फाइनल किए जाएं ताकि छात्रवृत्ति में देरी न हो।
विभाग पोर्टल की नियमित मॉनिटरिंग कर रहा है और जिन संस्थानों ने अब तक डेटा अपडेट नहीं किया है, उनसे तत्काल रिपोर्ट मांगी गई है।
शैक्षिक सत्र 2025-26 की अंतिम तिथि नजदीक आने से विभाग और कॉलेज प्रशासन दोनों पर समयबद्ध निस्तारण का दबाव बढ़ गया है।
छात्रों का कहना है कि यदि सत्यापन में तेजी नहीं आई, तो छात्रवृत्ति भुगतान में देरी से उनकी पढ़ाई पर असर पड़ सकता है।