अहिरौली में चल रहे देवी भागवत पुराण कथा का तीसरा दिन
सलेमपुर, देवरिया(राष्ट्र की परम्परा)।सांसारिक मोह माया से मुक्ति का माध्यम है भक्ति जिसके बल पर मानव शरीर को मोक्ष की प्राप्ति होती है।उक्त बातें क्षेत्र के अहिरौली में चल रहे देवी भागवत पुराण कथा के तीसरे दिन श्रद्धालुओं को कथा का रसपान कराते हुए आचार्य अजय शुक्ल ने कहा।उन्होंने भगवान शिव की पहली पत्नी सती की कथा सुनाते हुए कहा कि दक्ष प्रजापति की पुत्री सती ने पिता के विरोध के वावजूद भगवान शिव से विवाह किया था। जब दक्ष प्रजापति ने यज्ञ का आयोजन किया था तो शिवजी को अपमानित करने के लिए निमंत्रण नही भेजा था ,लेकिन सती बिना बुलावे के ही यज्ञ में पहुंच गई।वहां कोई उनका आवभगत नही किया। जिससे कुपित होकर सती ने आत्मदाह कर लिया। इस पर नाराज हो कर भगवान शिव ने वीरभद्र को दक्ष का वध करने का आदेश दिया।जिसके बाद सती के शव को उठाकर तांडव नृत्य करने लगे।पृथ्वी पर हाहाकार मच गया। भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से मां सती के 51 टुकड़े कर दिया वही भारत में 51 शक्तिपीठ बन गए।बाद में सती ने राजा हिमांचल के यहां पार्वती के रूप में जन्म लिया तथा भगवान शिव से विवाह किया। इस संसार में किसी भी व्यक्ति को बिना बुलाये कहीं भी किसी मांगलिक या शुभ कार्य में नही जाना चाहिए।क्योंकि हो सकता है कि आप का वहां सम्मान न हो और आपको अपमानित होना पड़े।अपने दिनचर्या के साथ ही बचे हुए समय को भगवान की सेवा और आराधना में लगावें।आपका कल्याण परमात्मा करेंगे। कथा के दौरान गोरख प्रसाद गुप्ता, पिंकी देवी,गुड्डू बाबा,चंद्रभूषण तिवारी, प्रतीक मिश्र, मुन्ना, विमला देवी, पार्वती देवी,विनोद कुमार, सुशील कुमार आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।
