December 17, 2024

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संत कबीर के विचार आज अत्यंत प्रासंगिक, समाज के उत्थान के लिए इनके प्रचार-प्रसार की आवश्यकता: कुलपति

संत कबीर के विचारों के प्रचार-प्रसार हेतु शोध विकास समिति की बैठक संपन्न

गोरखपुर (राष्ट्र की परम्परा)। दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में संत कबीर अकादमी की शोध विकास समिति की बैठक मंगलवार को अपराह्न 01:00 बजे डीडीयू के कांफ्रेंस हॉल में कुलपति प्रोफेसर पूनम टंडन की अध्यक्षता में संपन्न हुई।
बैठक को संबोधित करते हुए कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने कहा कि संत कबीर के विचार आज के समय में अत्यंत प्रासंगिक हैं और समाज के उत्थान के लिए इनके प्रचार-प्रसार की आवश्यकता है। संत कबीर अकादमी का यह प्रयास उनके संदेशों को विश्व स्तर पर पहुँचाने में मील का पत्थर साबित होगा। विश्वविद्यालय इस कार्य के लिए पूर्ण रूप से समर्पित है और अकादमी के माध्यम से सामाजिक कल्याण, साहित्य और लोक कला के क्षेत्र में नई दिशा प्रदान करेगा।
बैठक के दौरान यह महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया कि संत कबीर अकादमी, मगहर संत कबीर के साथ-साथ संत रविदास और गुरु गोरखनाथ के विचारों पर भी कार्य करेगी। उनके जीवन दर्शन और सामाजिक विचारों के प्रचार-प्रसार के लिए शीघ्र ही विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया जाएगा।
इसके अतिरिक्त विश्वविद्यालय द्वारा मगहर में संत कबीर से संबंधित विषयों पर कार्यशालाओं और सेमिनारों का आयोजन किया जाएगा। जिससे उनके विचारों का व्यापक प्रचार-प्रसार हो सके और शोधार्थियों को लाभ मिले।
बैठक में प्रस्ताव पारित किया गया कि अकादमी के माध्यम से फेलोशिप प्रदान की जाएगी। यह फेलोशिप विशेष रूप से विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों को दी जाएगी, ताकि वे संत कबीर, संत रविदास और गुरु गोरखनाथ के विचारों पर शोध कार्य कर सकें।
कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने यह भी उल्लेख किया कि “संत कबीर अकादमी की स्थापना संत कबीर की तपोभूमि मगहर में की गई है। यह अकादमी उनकी शिक्षाओं को संजोने और नई पीढ़ी तक पहुँचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
संत कबीर अकादमी के निदेशक अतुल द्विवेदी ने बताया कि सरकार इस अकादमी के विकास के प्रति विशेष रुचि ले रही है और सभी आवश्यक संसाधन मुहैया कराने के लिए कटिबद्ध है।
बैठक में हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो. कमलेश गुप्ता, अंग्रेजी विभागाध्यक्ष प्रो. अजय कुमार शुक्ल, प्रो. संगीता पांडेय, प्रो. निधि चतुर्वेदी और डॉ. गौरी शंकर चौहान उपस्थित रहे।