Saturday, December 20, 2025
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दिल्ली डिवीजन के रेलवे ट्रैक होंगे मजबूत, बढ़ेगी ट्रेन की गति और कम होगा हादसों का खतरा

नई दिल्ली (राष्ट्र की परम्परा डेस्क)। भारतीय रेलवे ने यात्रियों की सुरक्षा और ट्रेन संचालन की सुगमता को ध्यान में रखते हुए दिल्ली डिवीजन में बड़े पैमाने पर ट्रैक मेंटेनेंस कार्य शुरू करने की योजना बनाई है। दिल्ली मंडल से रोजाना 500 से अधिक यात्री ट्रेनें और मालगाड़ियां गुजरती हैं, जिससे ट्रैक पर अत्यधिक दबाव रहता है। लंबे समय से उपयोग में आने वाले कई ट्रैकों पर मरम्मत की आवश्यकता थी, जिसके चलते अब उन्हें उन्नत किया जाएगा।

उत्तर रेलवे का दिल्ली डिवीजन देश का सबसे व्यस्त रेल खंड है। दिल्ली-अंबाला, दिल्ली-सहारनपुर समेत कई राष्ट्रीय मार्गों पर भारी ट्रैफिक रहता है। पुराने स्लीपर, घिसे फिटिंग्स और ट्रैक पर जमी गाद के कारण ट्रेन की गति प्रभावित हो रही थी। ऐसे में नया ट्रैक सुधार अभियान यात्रियों के लिए बड़ी राहत साबित होगा। इसके बाद ट्रेनें ज्यादा सुरक्षित और तेज़ गति से चल सकेंगी।

5.27 करोड़ रुपये की परियोजना, 12 महीने में पूरा होगा काम

इस ट्रैक सुधार परियोजना की अनुमानित लागत 5.27 करोड़ रुपये तय की गई है। रेलवे ने इसके लिए निविदा आमंत्रित कर दी है और अगले 12 महीनों में कार्य पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। अधिकारियों का मानना है कि नियमित ट्रैक मेंटेनेंस रेलवे दुर्घटनाओं में उल्लेखनीय कमी ला सकता है। पिछले वर्षों में ट्रैक संबंधी हादसों में गिरावट इसी प्रकार की परियोजनाओं का परिणाम है।

रेल पैनल पुलिंग, स्लीपर रिप्लेसमेंट और गाद-सफाई पर जोर

नई योजना के तहत कई महत्वपूर्ण कार्य होंगे:

• रेल पैनलों की पुलिंग और पोजिशनिंग

• पुराने स्लीपरों का रिप्लेसमेंट

• फिश प्लेट्स व फिटिंग्स की मरम्मत

• ट्रैक और यार्ड की गहन स्क्रीनिंग

• गाद व मलबे की सफाई

• रेल रिन्यूअल और ट्रैक डिस्मेंटलिंग
ये सभी कार्य निर्धारित ट्रैफिक ब्लॉक में पूरे किए जाएंगे ताकि ट्रेनों की आवाजाही कम से कम प्रभावित हो।

अमृत भारत स्टेशन योजना और फ्रेट कॉरिडोर से भी जुड़ी पहल

दिल्ली डिवीजन का यह ट्रैक उन्नयन कार्य रेलवे के बड़े प्रोजेक्ट्स—जैसे अमृत भारत स्टेशन योजना और डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर—से भी जुड़ा है। इन योजनाओं का लक्ष्य रेलवे को आधुनिक तकनीक, उच्च गति और बेहतर सुरक्षा सुविधाओं से लैस करना है।

नए मेंटेनेंस कार्यों से न केवल ट्रैक मजबूत होंगे बल्कि ट्रेनों की स्पीड बढ़ेगी, देरी कम होगी और डिरेलमेंट जैसी दुर्घटनाओं की संभावना में भारी कमी आएगी।

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