नई दिल्ली (राष्ट्र की परम्परा डेस्क)। पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने के मामलों में इस वर्ष बड़ी कमी देखने को मिली है। केंद्रीय वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) से प्राप्त आरटीआई जानकारी के अनुसार, 2024 की तुलना में 2025 में खेतों में आग लगाने की घटनाएं 53% से अधिक कम हुई हैं। दोनों राज्यों में पराली जलाने के कुल मामले 12,750 से घटकर 6,080 रह गए।
पंजाब-हरियाणा में पराली जलाने के मामलों में तेज गिरावट
आरटीआई डेटा के अनुसार:
• पंजाब में 2024: 5,802 मामले → 2025: 1,963
• हरियाणा में 2024: 667 मामले → 2025: 230
कुल मिलाकर दोनों राज्यों में घटनाओं की संख्या आधे से भी कम हो गई है।
एफआईआर में भी 66% की गिरावट
किसानों के खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर भी तेज़ी से घटी हैं:
• 2024: 6,469 एफआईआर
• 2025: 2,193 एफआईआर
यह दिखाता है कि पराली प्रबंधन कार्यक्रमों और निगरानी सिस्टम में सुधार हुआ है।
दो साल में लगाया गया 68 करोड़ रुपये का जुर्माना
आरटीआई विवरण बताता है कि पंजाब और हरियाणा में दो वर्षों में कुल 68 करोड़ रुपये का जुर्माना पराली जलाने पर लगाया गया।
• 2024 में: लगभग 44 करोड़ रुपये
• 2025 में: लगभग 25 करोड़ रुपये
जुर्माने में हुई कमी पराली जलाने की घटनाओं में आई गिरावट से जुड़ी मानी जा रही है।
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दिल्ली की हवा पर पराली का असर बेहद कम
दिल्ली में वायु प्रदूषण को लेकर मिले डेटा के अनुसार:
• नवंबर 2025 के अधिकांश दिनों में पराली का योगदान 5% से कम रहा
• केवल 12–13 नवंबर को यह बढ़कर 22% तक पहुंचा
यह आंकड़े संकेत देते हैं कि दिल्ली की खराब हवा के पीछे पराली अब मुख्य कारण नहीं है।
पर्यावरण सुधार की दिशा में सकारात्मक संकेत
सरकार द्वारा उपकरण सब्सिडी, जागरूकता अभियान और वैकल्पिक समाधान उपलब्ध कराने जैसे कदमों के कारण पराली जलाने की घटनाओं में भारी कमी आई है। विशेषज्ञ इसे उत्तरी भारत में वायु प्रदूषण नियंत्रण की दिशा में बड़ा सुधार मान रहे हैं।
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