Saturday, December 27, 2025
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गर्मी में पशु पक्षियों की सुरक्षा

बलिया(राष्ट्र की परम्परा)
गर्मी बढ़ते ही पेयजल संकट एक बहुत बड़ी समस्या बनकर सामने आ रहा है जैसे-जैसे तापमान बढ़ रहा है पानी की समस्या से सभी परेशान दिखाई पड़ रहे हैं, हर साल पानी कम होता जा रहा है जिससे कई लोग सब्जी उगाना तथा पशुओं को पालना बंद कर दिए हैं। गर्मी में पानी को अमृत के समान माना गया है मनुष्य को प्यास लगे तो कहीं भी पी लेता है लेकिन बेजुबान पशु पक्षी को प्यास लगे तो वह क्या करें तालाब पोखर सब सूख गए हैं। जब पशु पक्षी को प्यास लगती है तो वह पानी की तलाश में निकल पड़ते हैं कुछ इंसान इस बात को समझते हैं और वह घर के सामने किसी बर्तन में उनके लिए पानी भर कर रख देते हैं, ताकि बेजुबान जानवरों को प्यास से भटकना न पड़े हम सभी का थोड़ा प्रयास पक्षियों की प्यास बुझा कर उनके जीवन को बचाने में मदद कर सकता है। इसके लिए जरूरी है कि हमें पशु पक्षियों का भी ख्याल रखना चाहिए क्योंकि यह लोग हम पर आश्रित हैं गर्मी में अपने घरों में या छतों पर पक्षियों के लिए पानी किसी बर्तन में अवश्य रखें और हो सके तो पेड़ पौधों को अवश्य लगाएं जिससे पक्षियों को छाया भी मिल सके, जिसके आसपास वह विश्राम कर सके जानवर हमारे समाज का अहम हिस्सा होते हैं। पर्यावरण को संतुलित करने में पशु पक्षियों की अहम भूमिका होती है हम इंसान जब पशु पक्षियों से प्रेम करते हैं तो वह भी बदले में हमारी सुरक्षा करते हैं। पर्यावरण संतुलन में पेड़ पौधों के साथ-साथ जानवरों की भी अहम भूमिका होती है मनुष्य पशु पक्षियों से प्रेम करता रहा है पशु पक्षियों को बचाने के लिए उन्हें जीवित रखने के लिए पानी भरकर छत के ऊपर रख दें और खेतों को खत्म करके बहु- मंजिला इमारत बना रहे हैं। बढ़ते तापमान और पेड़ पौधों की संख्या कम होने से पक्षी विलुप्त होते जा रहे हैं। गर्मी से बचने के लिए इंसान को पानी और वायु की जरूरत है उसी प्रकार गर्मी में पशु पक्षियों को भी पानी की आवश्यकता होती है जहां इन्हें पानी और दाना दिखता है वहां खुद ब खुद चले जाते हैं पक्षियों को पानी कभी भी प्लास्टिक के बर्तन में नहीं रखना चाहिए क्योंकि प्लास्टिक के बर्तन में पानी गर्म हो जाता है ध्यान रहे पानी मिट्टी के बर्तन में ही रखें जिससे जल की शीतलता बनी रहे हम सभी को संकल्प करना होगा कि हम पशु पक्षियों के लिए जल की व्यवस्था अवश्य करेंगे ताकि पक्षियों की चहचहाहट से वातावरण गुंजायमान होता रहे। अध्यापिका सीमा त्रिपाठी।

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