
गोरखपुर (राष्ट्र की परम्परा)। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के संस्कृत एवं प्राकृत भाषा विभाग में कुलपति प्रो. पूनम टण्डन के संरक्षकत्व में प्रो. विश्वम्भर नाथ त्रिपाठी स्मृति एकल व्याख्यान का आयोजन किया गया। जिसके मुख्य मुख्य अतिथि प्रोफेसर हरे कृष्ण शतपथी, पूर्व कुलपति केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय तिरुपति ने प्रो. विश्वम्भर नाथ त्रिपाठी को वेद मूर्ति की उपाधि प्रदान करते हुए संस्कृत जगत में उनके योगदान को आरेखित किया।
प्रो. शतपथी ने संस्कृत के चुनौतियों और संभावनाओं पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने गीता की प्रासंगिकता को प्रतिपादित करते हुए कहा कि गीता विषाद से प्रसाद की यात्रा कराती है।
प्रो. चतुर्भुज नाथ तिवारी ने प्रोफेसर विश्वम्भर नाथ त्रिपाठी के स्मरणों पर प्रकाश डालते हुए स्वागत भाषण दिया।
अध्यक्षता विभागाध्यक्ष प्रो. कीर्ति पाण्डेय, संचालन डॉ. सूर्यकांत त्रिपाठी व अतिथि परिचय डॉ. देवेंद्र पाल तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ. लक्ष्मी मिश्रा ने किया।
इस अवसर पर संस्कृत विभाग के समस्त शिक्षक तथा शोध छात्रों के अतिरिक्त डॉ. अमित उपाध्याय, डॉ गौरव सिंह आदि उपस्थित रहे।
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