
देवरिया(राष्ट्र की परम्परा)।
गर्भवती महिलाओं को कई बातों का विशेष ध्यान रखना होगा , नहीं तो हो सकती है मुश्किल।
प्रेग्नेंसी के दौरान किन बातों का रखना होता है ध्यान,इसके लिए हम देवरिया जिले के जिला महिला चिकित्सालय सम्बद्ध महर्षि देवरहा बाबा मेडिकल कॉलेज देवरिया की स्त्री एवम प्रसूति रोग विशेषज्ञ डाo श्वेता त्रिपाठी से हुई विशेष बातचीत की।
गर्भवती महिलाओं को गर्मी के मौसम में कैसे बचाव करना चाहिए
गर्मी के मौसम में सबसे पहले गर्भवती महिलाओं को धूप व गर्मी से बचाव करना चाहिए
अधिक से अधिक मात्रा में पानी पीना चाहिए
फल का सेवन करना चाहिए
अधिक से अधिक हरी सब्ज़ियां खानी चाहिए
खाने को थोड़ी थोड़ी मात्रा में खाना चाहिए
दो दो घण्टे पर थोड़ा थोड़ा खाना चाहिए
सुबह में भोजन करें बराबर पानी पीते रहें
और दोपहर में फल जरूर खाएं
दही का सेवन करें ये जरूरी है,क्युकी दही में प्री बायोटिक होते हैं जिससे उनको जी आई डिस्टर्बवेंस नहीं होंगे
फल में सेव ,अनार , चुकंदर, संतरा जरूर खाएं
खीरा में पानी की मात्रा ज्यादा होती है इसलिए खीरा ज्यादा खाएं
प्रेग्नेंसी में पेट में पानी की कमी को कैसे सही करें
प्रेग्नेंसी के दौरान पेट में पानी की कमी होने से शिशु का विकास सही से नहीं हो पाता है।
गर्भवती महिलाओं में पानी कम होना दो कारणों से होता है
उसके अन्दर उसकी खेड़ी कमजोर हो
ब्लड प्रेशर बढ़ा होता है तो भी पानी कम हो जाता है।
बचाव के लिए पानी ज्यादा से ज्यादा पीना चाहिए
लीटर से ज्यादा हर रोज पानी पीना चाहिए
वे फल खाएं जिसमे पानी की मात्रा ज्यादा हो जैसे संतरा,तरबूज ,खीरा आदि
प्रेग्नेंसी में डॉक्टर से कब और कितनी बार दिखाना जरूरी होता है
प्रेग्नेंसी के शुरुआत से ही गर्भवती महिला को हर एक महीने में एक बार डॉक्टर को दिखाना चाहिए,जिससे डॉक्टर बच्चे की ग्रोथ देख सके, मां को कोई अन्य बीमारी तो नहीं हो रही इसका भी पता चल सके,।
और आठवें महीने से हर बीस दिन पर दिखाना चाहिए
प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं में चिड़चिड़ापन शुरू हो जाता है ऐसा क्यूं ?
प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं में हार्मोनल चेंज की वजह से चिड़चिड़ापन हो जाता है,
महिलाएं मानसिक रूप से थोड़ा कमजोर होती हैं, प्रेग्नेंसी के समय हार्मोन्स ऐसे होते हैं जो डिप्रेशन में ला सकते हैं ,
इसलिए उसके परिवार को चाहिए कि उसको पूरा सपोर्ट करे। पूरे परिवार को गर्भवती महिला की मदद करनी चाहिए
डिलीवरी के बाद बहुत से बच्चों में पीलिया के लक्षण आ जाते हैं,ऐसा क्यूं ?
बच्चा जन्म लेने के तुरन्त बाद बच्चे का लिवर खुद काम करना शुरू कर देता है और एडजस्ट करने की कोशिश करता है,कुछ बच्चे तो एडजस्ट कर लेते हैं,पर जो नहीं कर पाते उनमें पीलिया के लक्षण दिखाई देने लगते हैं, ज्यादेतर मामलों से सिकाई से ही वो ठीक हो जाते हैं।
वैसे कोई भी पीलिया हो तो बाल रोग विशेषज्ञ डाक्टर से जरूर दिखाना चाहिए
गर्भवती महिलाओं को कौन कौन से इंजेक्शन लगवाने बहुत जरूरी होते हैं
टीटनस का इंजेक्शन लगवाना जरूरी होता है जो TD /टी डैप के नाम से आता है उसे लगवाना बहुत जरूरी होता है,
इसमें टिटनस और डिप्थीरिया दोनो होता है,
जैसे ही पता चलता है कि गर्भवती महिला है तो तुरन्त उसे ये इंजेक्शन लगा देना चाहिए,जिससे दो बीमारियां टीटनस जो बच्चे को और प्रसव के दौरान मां को होने से रोका जा सकता है और डिप्थीरिया नवजात शिशु में इस बीमारी को होने से रोका जाता है।
इसके बाद सातवें महीने में टी डेप इंजेक्शन लगवाना चाहिए।
गर्भवती महिलाएं गर्मी से बचाव करें,ज्यादा धूप में बाहर न घूमें,पानी ज्यादा से ज्यादा पीएं,हरी सब्जियों का सेवन ज्यादा करें,संतरा,चुकंदर ,खीरा आदि ज्यादा खाएं,सलाद खाएं, फल ज्यादा लें, और समय से अपनी जांच जरूर कराएं,खून की जांच जरूरी है,हर महीने में डॉक्टर से दिखाएं, अगर कोई भी परेशानी दिखे तो तुरन्त स्त्री रोग विशेषज्ञ डाक्टर से दिखाएं – डॉक्टर श्वेता त्रिपाठी (MBBS)(DGO)
स्त्री व प्रसूति रोग विशेषज्ञ,जिला महिला चिकित्सालय सम्बद्ध मo देवरहा बाबा मेडिकल कॉलेज देवरिया (उत्तर प्रदेश)
More Stories
संस्कृत पढ़ने गया विनय बना खूनी!
मोहर्रम का मातमी जुलूस श्रद्धा और अकीदत के साथ संपन्न, दुलदुल घोड़ा बना आकर्षण का केंद्र
प्रेम की जीत: मुस्लिम युवती ने हिंदू युवक से की मंदिर में शादी, अपनाया नया नाम