बाराबंकी(राष्ट्र की परम्परा)l
जहां सरकार नई-नई योजनाओ के तहत गरीबों को सर छुपाने की व्यवस्था कर रही है और प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पक्के मकान की व्यवस्था कर रही है, जिसकी जनता में सरकार की प्रशंसा हो रही है। वहीं दूसरी ओर कुछ अधिकारियों व कर्मचारियों की कार्यशैली से सरकार के अरमानों पर पानी फिर रहा है, ऐसा ही एक मामला सामने आया है।
जनपद बाराबंकी के विकासखंड सूरतगंज क्षेत्र अंतर्गत ग्राम पंचायत लुधौरा का, यहाँ ग्राम रजनापुर निवासी जाकिर पुत्र मुनव्वर ने यह आरोप लगाया है कि 2019-20 कि प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना की लिस्ट में उसका नाम अंकित था, किन्तु उस समय तैनात ग्राम विकास अधिकारी द्वारा आवास देने के बदले ₹20,000 की धनराशि की मांग की गई थी, किन्तु प्रार्थी जाकीर पुत्र मुनव्वर बहुत ही गरीब व्यक्ति हैं वह मेहनत मजदूरी करके अपने परिवार का पालन पोषण करता हैंl अतः गरीबी के वजह से धन देने से वंचित हो गया। इस पर ग्राम विकास अधिकारी द्वारा उसका पक्का मकान दिखा कर अपात्र घोषित कर दियाl
जब जाकिर पुत्र मुनव्वर को यह ज्ञात हुआ कि उसका पक्का मकान दिखा कर उसको आवास योजना से बाहर कर दिया गया है। किन्तु मुनव्वर ने हार नही मानी और आवास के लिए दोबारा प्रार्थना पत्र देकर अधिकारियों से न्याय की गुहार लगाई, किन्तु अधिकारी द्वारा दोबारा जांच में उसका फर्जी आधार कार्ड की आख्या लगाई गई।
पुनःतीसरी बार फिर प्रार्थी जाकिर पुत्र मुनव्वर ने प्रार्थना पत्र देकर के जिले के उच्च अधिकारियों व मंडल के अधिकारियों से न्याय की गुहार लगाई। जिस पर उसकी जॉब कार्ड मैपिंग की रिपोर्ट लगाई गईl परंतु प्रार्थी को न्याय नहीं मिल सका। देखने वाली बात यह है कि तीन बार में तीन तरीके से अलग-अलग रिपोर्ट लगाई गई, जबकि जो भी रिपोर्ट लगाई गई वह प्रार्थी के अनुसार गलत व फर्जी हैं।
जाकिर का कहना है कि धन न दे पाने के कारण उसका प्रधानमंत्री आवास योजना से नाम काट दिया जाता है फिलहाल देखना यह है कि दर-दर न्याय के लिए भटक रहे जाकिर पुत्र मुनव्वर को न्याय मिल पाता है या केवल खानापूर्ति की जाती हैं।
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