जिनेवा (राष्ट्र की परम्परा)। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) में पाकिस्तान की किरकिरी एक बार फिर सामने आई है, जब पीओके (पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर) के सामाजिक और राजनीतिक कार्यकर्ताओं ने वहां मानवाधिकार उल्लंघनों पर चिंता जताई और कार्रवाई की मांग की। यह मामला मानवाधिकार एवं शांति वकालत केंद्र द्वारा आयोजित साइड इवेंट में उठाया गया, जिसका शीर्षक था “पाकिस्तान में जबरन गायब किए गए लोगों के लिए आवाज़ उठाना”।
कार्यक्रम में पाकिस्तान और पीओके से जुड़े कार्यकर्ताओं ने बड़ी संख्या में जबरन गायब किए जाने, जेलों में बंदी बनाने और हत्या के मामलों का हवाला देते हुए अंतरराष्ट्रीय समुदाय से पाकिस्तान पर दबाव डालने की अपील की।
मुख्य घटनाक्रम और आरोप:
पश्तून तहफुज मूवमेंट (PTM) के कार्यकर्ता फजल-उर-रहमान अफरीदी ने कहा कि पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में 6,500 पश्तूनों को जबरन गायब किया गया है। इसके अलावा सिंधी और बलूच समुदायों में भी हजारों ऐसे मामले हैं।
पाकिस्तान सरकार पीटीएम को आतंकवादी घोषित कर अत्याचार कर रही है।
पीओजेके में गोलीबारी: निर्वासित कार्यकर्ता नासिर अजीज खान ने बताया कि 27 सितंबर को अवामी एक्शन कमेटी के शांतिपूर्ण प्रदर्शन पर पाकिस्तानी रेंजर्स ने गोली चलाई, जिसमें कई लोग मारे गए। अब तक 10 से अधिक मौतें हुई हैं, सैकड़ों लोग गिरफ्तार और जेलों में यातनाएं झेल रहे हैं।
सिंध से भी आवाज़ उठी: विश्व सिंधी कांग्रेस के कार्यकर्ता कमरान जटोई ने कहा कि सरकार विरोधी आवाज़ उठाने वालों को जबरन उठा लिया जाता है, विशेष रूप से इंडस नदी पर बनाए जा रहे नहर प्रोजेक्ट के विरोधियों को।
अंतरराष्ट्रीय अपील:
ग्लोबल सेंटर फॉर डेमोक्रेटिक गवर्नेंस के अध्यक्ष डॉ. हबीब मिल्लत ने कहा कि जबरन गायब किए जाना एक गंभीर मानवाधिकार उल्लंघन है और इस पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कार्रवाई जरूरी है। इस कार्यक्रम का समापन एक सामूहिक अपील के साथ हुआ, जिसमें अंतरराष्ट्रीय समुदाय से पाकिस्तान पर दबाव डालने, जवाबदेही तय करने और पीओके व अन्य प्रभावित क्षेत्रों में मानवाधिकारों की रक्षा करने की मांग की गई।