March 15, 2025

राष्ट्र की परम्परा

हिन्दी दैनिक-मुद्द्दे जनहित के

बहराइच में अवध वाटिका साहित्यिक संस्था द्वारा आयोजित हुई काव्य गोष्ठी

कवियों की रचनाओं पर खूब लगे ठहाके

बहराइच (राष्ट्र की परम्परा)साहित्य, कला एवम रंग मंच को पूर्ण रूप से समर्पित अवध वाटिका साहित्य मंच जनपद बहराइच की पाक्षिक काव्य गोष्ठी हास्य कवि पी.के. प्रचण्ड की अध्यक्षता व रमेश कुमार मिश्र के मुख्य आतिथ्य में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी सभागार कलेक्ट्रेट में युवा कवि अजित मौर्य के वाणी वंदना से प्रारम्भ हुआ। संचालन कवि तिलक राम अजनबी ने किया । कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए शायरा फौजिया रसीद ने बेहतरीन गज़ल का मतला कुछ यूं पढ़ा बगबां फस्ल गुल बाग क्या गई, क्यूं हर एक सिम्त पर मुर्दगी छा गई । बहुत ही श्रोताओं ने सराहा, शायर कलीम खान “तनहा ” ने शानदार लहज़े में शेर पढ़ा आसमा हूं मैं जिसमे सितारा नही, वह नदी हूं जिसका किनारा नही । युवा कवि अजित मौर्य ने पंक्तियां कुछ यूं पढ़ा जश्ने महफिल सजा के देख लिया, बरसों आंसू बहा के देख लिया । तुमको अब तक भुला ना पाया मै है जतन आजमा के देख लिया ।। नानपारा से पधारे शायर शाहनवाज खान, बहराइची ने शेर पढ़ा तुम्हारा संगे दिल जो गया है। बहराइच के महबूब शायर रईस सिद्दीकी ने मां बाप की दुआओं की बात करते हुए गज़ल का मतला पढा पहले मा बाप की उल्फत को बसाया दिल में, तब कहीं जा के हमे आया इबादत करना | कार्यक्रम का संचालन कर रहे कवि तिलक राम अजनबी ने अपनी भावनाओं को पंक्तियों के माध्यम से
व्यक्त किया कि जिसको समझा बड़ा वो बड़ा ना रहा, अपनी बातों पर हरगिज़ खड़ा ना रहा। अन्त में कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे हास्य कवि पी.के.प्रचण्ड ने अपनी हास्य की कविताओं से सभी को अहलादित किया कार्यक्रम के मुख्य अतिथि रमेश कुमार मिश्र ने सभी कवियों शायर तथा श्रोता बन्धुओं का अभार व्यक्त करते हुए अवध वाटिका साहित्य मंच के प्रगति और यशकीर्ति की कामना व्यक्त किया ।तत्पश्चात अध्यक्ष ने गोष्ठी के समापन की घोषणा कर दी। इस मौके पर काफी संख्या में कवि एवं श्रोता बंधु उपस्थित रहे।