July 2, 2025

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प्रधानमंत्री मोदी की आठ दिवसीय पांच देशों की यात्रा: वैश्विक कूटनीति, BRICS सम्मेलन और विपक्ष की आलोचना के बीच

नई दिल्ली(राष्ट्र की परम्परा डेस्क) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2 जुलाई से 9 जुलाई तक एक महत्त्वपूर्ण आठ दिवसीय विदेश दौरे पर रवाना होने जा रहे हैं। इस दौरे के दौरान वह अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के दो महाद्वीपों में फैले पांच देशों—घाना, त्रिनिदाद और टोबैगो, अर्जेंटीना, ब्राजील और नामीबिया—का दौरा करेंगे। इस दौरे का मुख्य उद्देश्य वैश्विक दक्षिण (Global South) के साथ भारत के संबंधों को प्रगाढ़ करना, सुरक्षा सहयोग को बढ़ाना और आतंकवाद के खिलाफ संयुक्त वैश्विक रणनीति को मजबूती देना है। इस यात्रा का समापन 6-7 जुलाई को ब्राजील के रियो डी जेनेरियो में होने वाले BRICS शिखर सम्मेलन में भारत की भागीदारी के साथ होगा।

कूटनीतिक एजेंडा: आतंकवाद, सहयोग और वैश्विक दक्षिण

विदेश मंत्रालय (MEA) के अनुसार, यह यात्रा उस समय हो रही है जब भारत सीमा पार आतंकवाद के विरुद्ध अंतरराष्ट्रीय मंचों पर आक्रामक कूटनीति अपना रहा है। विशेषकर 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद, जिसमें 26 निर्दोष नागरिकों की जान गई थी, भारत ने आतंकवाद के विरुद्ध अपने वैश्विक प्रयासों को और तेज कर दिया है।

इसके जवाब में भारत ने 7 मई को “ऑपरेशन सिंदूर” लॉन्च किया, जिसमें पाकिस्तान स्थित आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया। माना जा रहा है कि BRICS शिखर सम्मेलन के दौरान भारत आतंकवाद की एकीकृत और कड़ी निंदा को संयुक्त घोषणापत्र में शामिल करने की मांग करेगा। प्रधानमंत्री की यह यात्रा भारत की वैश्विक छवि को एक जिम्मेदार और निर्णायक शक्ति के रूप में पेश करने का अवसर भी मानी जा रही है।

प्रधानमंत्री मोदी की सबसे लंबी बहु-देशीय यात्रा

यह पिछले 10 वर्षों में प्रधानमंत्री मोदी की सबसे लंबी बहु-देशीय कूटनीतिक यात्रा होगी। इससे पहले 2016 में उन्होंने अमेरिका, मैक्सिको, स्विट्ज़रलैंड, अफगानिस्तान और कतर का दौरा किया था। इस बार की यात्रा विशेष रूप से वैश्विक दक्षिण के देशों की ओर भारत के झुकाव को दर्शाती है।

इस यात्रा के दौरान मोदी स्थानीय नेताओं से द्विपक्षीय वार्ताएं करेंगे, निवेश और रक्षा सहयोग को लेकर समझौते हो सकते हैं, और भारतीय मूल के लोगों से संवाद भी किया जाएगा। अफ्रीकी और लैटिन अमेरिकी देशों के साथ भारत की ऊर्जा, खनिज, आईटी, फार्मा और शिक्षा क्षेत्रों में साझेदारी को नई दिशा मिलने की उम्मीद है।

राजनीतिक विवाद: कांग्रेस का प्रधानमंत्री पर तीखा प्रहार

प्रधानमंत्री की इस विदेश यात्रा को लेकर देश के राजनीतिक हलकों में गर्मी भी देखने को मिल रही है। कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर “देश के ज्वलंत मुद्दों से भागने” का आरोप लगाया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए कहा:

“जब हालात कठिन हो जाते हैं, तो स्व-घोषित कठिनाइयां भी बढ़ जाती हैं। सुपर प्रीमियम फ्रीक्वेंट फ्लायर प्रधानमंत्री पांच देशों की यात्रा पर हैं।”

उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री देश को आंदोलित कर रहे चार बड़े मुद्दों से आंखें मूंदकर विदेश यात्रा पर निकल रहे हैं। खासतौर से उन्होंने मणिपुर हिंसा, ऑपरेशन सिंदूर की शुरुआती विफलता, पहलगाम हमले के दोषियों की गिरफ्तारी में देरी और भारत-पाक युद्धविराम पर ट्रंप के दावों जैसे विषयों का ज़िक्र किया।

रमेश ने कहा कि मणिपुर में महीनों से जारी हिंसा और संकट पर प्रधानमंत्री ने कोई सीधा हस्तक्षेप नहीं किया है और न ही वहां दौरा किया। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि रक्षा अधिकारियों ने खुलासा किया है कि “ऑपरेशन सिंदूर” के शुरुआती दो दिनों में भारत को नुकसान उठाना पड़ा।

संदेश स्पष्ट: भारत वैश्विक मंच पर सक्रिय और मुखर

हालांकि विपक्ष के इन आरोपों के बीच सरकार का रुख स्पष्ट है—भारत को वैश्विक मंच पर और अधिक मजबूती से पेश करना। प्रधानमंत्री मोदी की इस यात्रा को ‘भारत की वैश्विक छवि’ और ‘कूटनीतिक सक्रियता’ की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है। BRICS जैसे मंचों पर भारत की आवाज को मजबूती से रखना, विकासशील देशों के साथ सहयोग बढ़ाना और आतंकवाद पर वैश्विक समर्थन जुटाना—यही मोदी की विदेश यात्रा का मूल उद्देश्य है।