July 7, 2025

राष्ट्र की परम्परा

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अनुदानित महाविद्यालयों के स्ववित्तपोषित शिक्षकों की भी लड़ाई लड़ेगा फुपुक्टा – डॉ.प्रदीप कुमार सिंह

बरहज/देवरिया(राष्ट्र की परम्परा)
स्थानीय बाबा राघवदास भगवानदास स्नातकोत्तर महाविद्यालय, आश्रम में शनिवार को उत्तर प्रदेश विश्वविद्यालय महाविद्यालय शिक्षक संघ के नवनिर्वाचित महामंत्री डॉ.प्रदीप कुमार सिंह का स्वागत समारोह आयोजित हुआ। जिसमें उनका भव्य स्वागत किया गया। इस दौरान उन्होंने कहा कि अनुदानित महाविद्यालयों के स्ववित्तपोषित पाठ्यक्रम में कार्यरत संविदा शिक्षक बाइस वर्षों से अपने को विनियमित करने तथा यूजीसी द्वारा निर्धारित वेतनमान देने की मांग कर रहे हैं। अब फुपुक्टा इनकी लड़ाई भी लड़ेगा।
उन्होंने कहा कि नये शिक्षक ही इस नये सांगठनिक क्रांति के वाहक हैं। सबसे अधिक उनकी समस्याएं हैं। उनके समस्याओं के निराकरण हेतु अभी से लड़ाई शुरू हो गई है। यदि सरकार नहीं सुनी तो 2024 में इसका परिणाम सरकार को भुगतना होगा। सरकार से उन्होंने पुरानी पेंशन पुनः बहाल करने, शोध कार्य के लिए अवकाश एवं चिकित्सकीय सुविधा देने की मांग की। कहा कि अनुदानित महाविद्यालयों में कार्यरत स्ववित्तपोषित शिक्षकों की समस्याओं के निराकरण हेतु सरकार से संघ मांग करेगा। कार्यक्रम को गुआक्टा के संयुक्त सचिव डॉ.अनुप श्रीवास्तव, महाविद्यालय इकाई की अध्यक्ष डॉ.आरती पांडेय, मंत्री डॉ. सूरज प्रकाश गुप्ता, डॉ.अरविन्द पांडेय (राजनीति विज्ञान), डॉ.अरविन्द पांडेय (समाज शास्त्र) ने संबोधित किया। संचालन डॉ.अमरेश त्रिपाठी ने की। इस दौरान प्रमुख रूप से डॉ.गायत्री गिरीश मिश्र, डॉ.राकेश कुमार सिंह, डॉ.विनय तिवारी डॉ.सज्जन कुमार गुप्ता, डॉ.विवेकानंद पांडेय, डॉ.संजीव कुमार, डॉ.प्रज्ञा तिवारी, डॉ.प्रभु कुमार, डॉ.ब्रजेश यादव, डॉ.वेद प्रकाश सिंह, डॉ.सुनील श्रीवास्तव, डॉ. शैलेंद्र प्रताप सिंह, डॉ.अविकल शर्मा, डॉ.रणधीर श्रीवास्तव, डॉ. अवधेश यादव, डॉ.धनंजय तिवारी, प्रदीप शुक्ला आदि मौजूद रहे।जबकि
आयोजित सम्मान समारोह में महाविद्यालय के स्ववित्तपोषित पाठ्यक्रम में कार्यरत संविदा शिक्षक डॉ.संजय सिंह, डॉ.अरविन्द पांडेय एवंं डॉ.अवधेश यादव ने अपने विनियमितिकरण / यूजीसी वेतनमान की मांग को लेकर फुपुक्टा महामंत्री को एक ज्ञापन सौंपा। जिसमें आग्रह किया गया है कि फुपुक्टा अपने मांगपत्र में इसे शामिल करते हुए हमारी मांगों को भी सरकार के समक्ष रखते हुए हमारी लड़ाई भी लड़े। हम भी उनके साथ कदम से कदम मिलाकर चलेंगे।