अधिकारियों के निर्देशों की उड़ रही धज्जिया
गोरखपुर (राष्ट्र की परम्परा)। शहर के सबसे व्यस्त क्षेत्रों में से एक रेलवे बस स्टैंड इन दिनों अव्यवस्था का प्रतीक बन चुका है। प्रतिदिन यहां घंटों जाम लगा रहता है, जिससे यात्रियों के साथ-साथ आम राहगीर भी परेशान हैं। बस संचालकों ने अधिकारियों के बार-बार दिए गए निर्देशों को ठेंगा दिखाते हुए रोड को ही बस स्टैंड बना लिया है। परिणामस्वरूप ट्रैफिक व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है।
सुबह से लेकर देर रात तक बसें सड़क पर खड़ी रहती हैं, जिससे आने-जाने वाले वाहनों को निकलने में भारी दिक्कत होती है। सबसे ज्यादा परेशानी स्कूल बसों, एंबुलेंस और आपातकालीन सेवाओं को उठानी पड़ती है। बसों के बीच से राहगीरों का गुजरना भी खतरों से खाली नहीं है।
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स्थानीय व्यापारियों और यात्रियों का कहना है कि यह समस्या कोई नई नहीं है। प्रशासन और परिवहन विभाग के अधिकारियों द्वारा कई बार निर्देश जारी किए गए कि बसों को निर्धारित स्टैंड के अंदर ही खड़ा किया जाए, लेकिन बस संचालक नियमों का पालन करने को तैयार नहीं हैं। अधिकारी केवल कागजों में कार्यवाही दिखाते हैं, जबकि जमीनी हकीकत जस की तस है।
यात्री सुरेश गुप्ता ने कहा, “बसें पूरी सड़क पर खड़ी रहती हैं। ट्रैफिक पुलिस केवल देखकर चली जाती है। जाम में फंसकर रोजाना समय बर्बाद होता है।” वहीं एक व्यापारी ने बताया, “हमारे दुकानों के सामने बसें लग जाती हैं, धुआं और शोर से ग्राहकों का आना भी कम हो गया है।”
स्थानीय लोगों का कहना है कि जब तक रोड पर बसें खड़ी करने वालों पर कड़ी कार्रवाई नहीं की जाएगी, तब तक यह समस्या खत्म नहीं होगी। विभागीय अधिकारियों को सख्त कदम उठाते हुए रोड पर खड़ी बसों का चालान करना चाहिए और दोबारा उल्लंघन करने वालों के परमिट रद्द करने चाहिए।
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जनता की मांग: “रेलवे बस स्टैंड की अव्यवस्था को जल्द दूर किया जाए। रोड जनता के चलने के लिए है, बसों का पार्किंग स्थल नहीं।”
गोरखपुर का यह जाम अब केवल ट्रैफिक समस्या नहीं रहा, बल्कि जनता के धैर्य की परीक्षा बन गया है। अब देखना यह है कि प्रशासन कब जागता है और नियमों को लागू कर जनता को राहत दिलाता है।
