
बलिया(राष्ट्र की परम्परा)
परशुराम त्रेता युग में एक ब्राह्मण ऋषि के यहां जन्मे थे महाभारत और विष्णु पुराण के अनुसार परशुराम का मूल नाम राम था।
हिंदू शास्त्रों के अनुसार परशुराम को भगवान विष्णु का छठा अवतार माना जाता है वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया को परशुराम जयंती मनाई जाती है परशुराम अपने माता-पिता के आज्ञाकारी पुत्र थे। परशुराम ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए घोर तपस्या की थी जिसके बाद वरदान स्वरूप उन्हें फरसा मिला था भगवान परशुराम का जन्म ब्राह्मण कुल में हुआ था लेकिन स्वभाव क्षत्रियों जैसा था भगवान परशुराम का जन्म का नाम राम था। उन्होंने कठोर तपस्या करके भगवान शिव को प्रसन्न किया जिसके बाद भगवान शिव ने इन्हें कई अस्त्र और शस्त्र प्रदान किए। जिसमें से परसु भी मुख्य है उन्होंने परसु धारण किया जिसके बाद परशुराम कहलाए। परशुराम के अलावा उन्हें रामभद्र भार्गव आदि नामों से जाना जाता है। परशुराम ने अपने पिता की आज्ञा मानकर अपनी मां का सिर धड़ से अलग कर दिया था। जिससे प्रसन्न होकर इनकी पिता ने उनसे तीन वर मांगने को कहा तीन वर में परशुराम ने पहला अपनी मां को जीवित करना दूसरा बड़े भाइयों को ठीक करना तथा तीसरा जीवन में कभी भी पराजय ना होने का आशीर्वाद मांगा परशुराम के क्रोध से गणेश जी तक बच नहीं पाए अन्याय का नाश करने के लिए भगवान विष्णु ने परशुराम के रूप में जन्म लिया था।
सीमा त्रिपाठी
शिक्षिका साहित्यकार लेखिका
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