(राष्ट्र की परम्परा डेस्क)। पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के शेखपुरा जिले में स्थित मुरीदके शहर में सोमवार को सुरक्षा बलों ने तहरीक ए लब्बैक पाकिस्तान (TLP) के समर्थकों को लगातार तीन घंटे तक गोलीबारी कर 280 से अधिक लोगों की जान ली और लगभग 1900 से ज़्यादा घायल किए।
रविवार रात से ही TLP का काफिला लाहौर से इस्लामाबाद की ओर मार्च कर रहा था, लेकिन सुरक्षा बलों ने इस मार्च को रोकने के लिए देर रात पहले स्मोक ग्रेनेड दिए और सुबह होते-होते पुलिस व रेंजर्स ने निहत्थे प्रदर्शनकारियों को बर्बर तरीके से गोली मारी। गोलीबारी के बीच TLP का मंच भी आग के हवाले कर दिया गया। संगठन का दावा है कि उनके प्रमुख मौलाना साद हुसैन रिज़वी को भी गोली लगी और वे मंच से गिर गए।
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TLP इस मार्च को “लहबैक या अक्सा मार्च” नाम दे रहा था, जिसका उद्देश्य इस्लामाबाद में अमेरिकी दूतावास के सामने विरोध करना था। हालांकि, सरकार द्वारा मार्च को अवैध करार दिए जाने और सुरक्षा घेरे तानने की रणनीति से टकराव अनिवार्य हो गया।
अंतरिम सरकार और TLP के बीच कई दौर की वार्ता हुई, लेकिन सौदा नहीं हो सका। प्रशासन ने पहले ही इमरजेंसी स्तर की बैठक और तैयारियाँ शुरू कर दी थीं। गृहमंत्री मोहसिन नकवी और प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ के बीच हुई बैठक में ही पहले से इस हिंसक कार्रवाई की योजना बनी थी, पत्रकारों का अनुमान है।
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उल्लेखनीय है कि इस महीने यह तीसरा बड़े स्तर का मामला है, जब सुरक्षा बलों ने प्रदर्शनकारियों पर गोलीबारी की — इससे पहले 29 सितंबर और 1 अक्टूबर को पीओके में और फिर लाहौर में हुई घटना में कुल 19 और 15 लोगों की मौत हुई थी। अब यह मौतों का आंकड़ा 280 के पार पहुंच चुका है और बढ़ने की आशंका है।
यह घटना पाकिस्तान में लोकतंत्र, मानवाधिकार और सुरक्षा बलों के रवैये पर गंभीर सवाल खड़े करती है।